मोबाइल और डिजिटल स्क्रीन की बढ़ती आदत बच्चों की आंखों के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है. कोरोना महामारी के बाद हालात और बिगड़े हैं. जयपुर के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल से सामने आए ताज़ा आंकड़े अभिभावकों की चिंता बढ़ाने वाले हैं.
SMS अस्पताल की आई स्पेशियलिटी ओपीडी में पहुंचने वाले बच्चों में से करीब 40% बच्चे किसी न किसी आंखों की बीमारी से पीड़ित पाए जा रहे हैं. अस्पताल के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज शर्मा का कहना है कि कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों को मोबाइल की ऐसी लत लगा दी, जो अभी तक नहीं छूटी है. परिणामस्वरूप पिछले 3–4 वर्षों में बच्चों में आंखों की बीमारियों के केस तेज़ी से बढ़े हैं. डॉ. शर्मा के मुताबिक कोरोना के दौरान पढ़ाई और मनोरंजन-दोनों के लिए बच्चे स्क्रीन पर निर्भर हो गए। आज भी बच्चे 3 से 6 घंटे तक मोबाइल या टैबलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ रहा है.
किन बीमारियों ने बढ़ाई परेशानी ?
डॉ. शर्मा बताते हैं कि कोरोना से पहले ऐसे मामले बेहद कम थे, लेकिन अब ओपीडी में रोज बड़ी संख्या में बच्चे इन समस्याओं के साथ पहुंच रहे हैं.
खासतौर पर 6 से 15 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.अभिभावकों के लिए चेतावनी का समय
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्याएं और बढ़ सकती हैं. डॉक्टर बच्चों के मोबाइल उपयोग को सीमित करने, स्क्रीन से उचित दूरी बनाए रखने और बीच-बीच में आंखों को आराम देने की सलाह दे रहे हैं.मोबाइल की लत सिर्फ आदत नहीं, अब बच्चों की आंखों के स्वास्थ्य पर सीधा खतरा बन रही है.





