भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी ने लंदन में अपने प्रत्यर्पण मामले को दोबारा खोलने की अर्जी दायर की है और इस बार उसने अपने समर्थन में भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक वर्मा की विशेषज्ञ राय पेश की है। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस वर्मा ने अपनी राय में नीरव मोदी की इस दलील का समर्थन किया है कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर उसे कई एजेंसियों द्वारा पूछताछ का सामना करना पड़ सकता है और भारत की न्यायिक प्रणाली में उसे न्यायपूर्ण ट्रायल नहीं मिलेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “नीरव मोदी की तरफ से जो विशेषज्ञ गवाह पेश किए गए हैं, उन्होंने भारतीय जेलों और न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं ताकि भगोड़े को बचाया जा सके।”
कौन हैं जस्टिस दीपक वर्मा?
जस्टिस दीपक वर्मा राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। इससे पहले विजय माल्या के दिवालियापन मामले में भी ब्रिटेन की अदालत में विशेषज्ञ गवाह के रूप में पेश हुए थे। उस मामले में माल्या को इस साल अप्रैल में भारतीय बैंकों (SBI के नेतृत्व वाले संघ) के पक्ष में अदालत से हार का सामना करना पड़ा था। जस्टिस वर्मा ने इस बार टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, “मैं चल रहे मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करता।”
भारत ने ब्रिटेन को भेजी ‘आश्वासन-पत्र’
वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने इस साल अगस्त में नीरव मोदी की पुनःसुनवाई याचिका स्वीकार कर ली थी। अब इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर को तय की गई है। भारत सरकार ने इस याचिका को खारिज करने की मांग की है और ब्रिटेन को एक ‘Letter of Assurance’ भेजा है। इसमें कहा गया है कि मोदी को भारत लाए जाने पर केवल मुकदमे का सामना करना होगा और किसी अन्य एजेंसी द्वारा पूछताछ या हिरासत में नहीं लिया जाएगा। भारत का रुख साफ है कि नीरव मोदी का प्रत्यर्पण पहले ही अंतिम चरण में पहुंच चुका है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, “हम इस विशेषज्ञ गवाही का जोरदार विरोध करेंगे। यह नीरव मोदी का अंतिम प्रयास है खुद को बचाने का, क्योंकि उसके पास अब कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा है।”
13,578 करोड़ का घोटाला
नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 6,498 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है। यह 13,578 करोड़ के बड़े घोटाले का हिस्सा है, जिसमें उसके मामा मेहुल चोकसी पर भी 7,000 करोड़ की ठगी का आरोप है। 19 मार्च 2019 से नीरव मोदी लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है। उसे स्कॉटलैंड यार्ड ने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गिरफ्तार किया था।
25 फरवरी 2021 को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज सैम गूज़ ने मोदी के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। यह आदेश 9 नवंबर 2022 को ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा और सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति न देकर उसकी कानूनी राह बंद कर दी।
इससे पहले हुए प्रत्यर्पण मुकदमे में नीरव मोदी ने एक और पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू की विशेषज्ञ गवाही का इस्तेमाल किया था। हालांकि, जज सैम गूज ने अपने फैसले में लिखा था, “मैं जस्टिस काटजू की राय को बहुत कम महत्व देता हूं। उनकी गवाही में वस्तुनिष्ठता की कमी थी और यह उनके व्यक्तिगत एजेंडे से प्रभावित लग रही थी।”
आपको बता दें कि नीरव मोदी को फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर (FEO) घोषित किया जा चुका है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2,598 करोड़ की संपत्ति जब्त की है, जबकि 981 करोड़ की रकम बैंकों को वापस की जा चुकी है। भारत सरकार ब्रिटेन में मौजूद 130 करोड़ मूल्य की विदेशी संपत्तियों को भारत लाने की प्रक्रिया में भी जुटी है।






