भारत के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में तो चीन की दखलअंदाजी कोई नई बात नहीं रही, लेकिन अब ड्रैगन ने भारत के एक और पड़ोसी को अपनी पकड़ में ले लिया है. और ये पड़ोसी देश है म्यांमार. वही म्यांमार जो भारत के नॉर्थ-ईस्ट राज्यों से सटा हुआ है और जहां बीते चार सालों से जुंटा सेना और विद्रोही गुटों के बीच खूनी गृहयुद्ध चल रहा है. इस आग में अब चीन ने तेल डालने का नहीं, बल्कि आग को अपनी मर्ज़ी से जलाने-बुझाने का काम शुरू कर दिया है.
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म्यांमार अब चीन के इशारों पर ऐसा नाच रहा है, जैसे कोई कठपुतली. दरअसल कुछ हफ्ते पहले म्यांमार के लाशियो शहर में विद्रोही गुटों ने बड़ी सैन्य कार्रवाई कर जुंटा सेना को धूल चटा दी थी. इसे पूरे गृहयुद्ध की सबसे बड़ी जीत कहा गया था. लेकिन कुछ ही समय बाद विद्रोहियों ने बिना एक भी गोली चलाए शहर खाली कर दिया. वजह? चीन का एक आदेश.
चीन ने क्या हुक्म दिया?
विद्रोही नेताओं के मुताबिक, चीन ने न सिर्फ बॉर्डर ट्रेड ठप कर दिया, बल्कि बिजली और इंटरनेट काट दिए. इतना ही नहीं, एक विद्रोही गुट के कमांडर को चीन की सीमा में घुसने पर हिरासत में भी ले लिया गया. चीन ने साफ-साफ कह दिया कि हमारे निवेश वाले इलाकों में लड़ाई नहीं होनी चाहिए.
क्यों इतना अहम है लाशियो चीन के लिए?
लाशियो म्यांमार के उत्तरी राज्य शान का शहर है, जो चीन की सीमा से महज 75 किलोमीटर दूर है. यही इलाका चीन की उस रणनीति का हिस्सा है, जिससे वो बंगाल की खाड़ी से तेल और गैस पाइपलाइन के जरिए सीधा ऊर्जा हासिल करता है. इसके अलावा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट भी यहीं चल रहे हैं. जाहिर है, चीन नहीं चाहता कि उसके ‘बिजनेस कॉरिडोर’ में कोई धमाका हो, चाहे वह जुंटा करे या विद्रोही.
चीन का दोहरा खेल, हथियार दोनों को
चीन एक तरफ सार्वजनिक मंचों पर गैर-हस्तक्षेप की बात करता है, वहीं दूसरी ओर म्यांमार की सेना और विद्रोही गुटों दोनों को हथियार भी देता है. कोकांग ग्रुप जिसने लाशियो जीता वो चीन समर्थित है और उसके लड़ाके चीनी मूल के हान समुदाय से आते हैं, जो मंदारिन बोलते हैं. ये भी खुलासा हुआ है कि चीन लंबे वक्स से इस क्षेत्र के सभी पक्षों को हथियार देता रहा है ताकि अपनी दखल बनाए रख सके.
जुंटा की बर्बरता और चीन की चुप्पी
म्यांमार की जुंटा सेना लगातार आम नागरिकों पर हवाई हमले कर रही है, जिनमें चीन निर्मित ड्रोन और फाइटर जेट्स का इस्तेमाल हो रहा है. मई में एक स्कूल पर बम गिराए गए, जिसमें 22 बच्चों समेत 24 लोगों की मौत हुई. इसके बावजूद चीन ‘शांति’ की बात करता है और जुंटा की आलोचना करने से बचता है.
भारत के लिए खतरे की घंटी
भारत के लिए चिंता की बात यह है कि म्यांमार उसकी पूर्वोत्तर सीमाओं से सटा हुआ है. ऐसे में चीन की बढ़ती दखलअंदाज़ी इस क्षेत्र की सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन को खतरे में डाल सकती है. नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश के बाद अब म्यांमार में भी चीन की ऐसी पैठ भारत के लिए नई सिरदर्दी बन सकती है.
