वन-रक्षा के बलिदानियों की कर्जदार रहेगी आने वाली पीढ़ी- भूपेन्द्र यादव

आज राष्ट्रीय वन शहीद दिवस है। इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव एवं राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने वनों, वन्यजीवन और पर्यावरण के लिए निस्वार्थ रूप से सर्वोच्च बलिदान करने वाले शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।

Bhupendra Yadav

नई दिल्ली। आज राष्ट्रीय वन शहीद दिवस है। इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव एवं राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने वनों, वन्यजीवन और पर्यावरण के लिए निस्वार्थ रूप से सर्वोच्च बलिदान करने वाले शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वनों के संरक्षण के लिए प्राण देने वालों को आने वाली पीढ़ी सैदव याद रखेगी और प्रेरित होती रहेगी।

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इस दिवस पर ट्वीट करते हुए अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि भारत की प्रभावशाली और विस्तृत जैव विविधता का संरक्षण वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। वे इस महत्वपूर्ण संपदा के संरक्षण और इसके उन्नयन में अथक प्रयास कर रहे हैं। बीते कई वर्षों में वन विभाग ने वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के संरक्षण में अपने कई वन संरक्षकों को खोया है।

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11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस

देश के विभिन्न भागों में तैनात वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के बलिदान को सम्मान देने के लिए 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1730 में अमृता देवी के नेतृत्व में बिश्नोई जनजातीय समुदाय के 360 लोगों को राजस्थान के खेजार्ली में राजा के आदेश से मार डाला गया था। वे लोग पेड़ों के काटे जाने का विरोध कर रहे थे। इस घटना के स्मरण में तीन अक्टूबर 2012 को वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) देहरादून में ब्रांडिस रोड के पास स्मारक स्थल पर एक स्मारक खंभा स्थापित किया गया था। इसके अलावा देश की जैव विविधता और वन्य संपदा के संरक्षण में अपने प्राण गंवाने वालों को सम्मान देने के लिए देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान परिसर में भी एक स्मारक बनाया गया है।

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