महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय अमरावती में शुरू करेगा मराठी भाषा केंद्र
नागपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुलपति डॉ. शुक्ल ने बताया कि भारत के श्रेष्ठतम संतों में से एक सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी का यह अष्ट जन्मशताब्दी वर्ष है।

नागपुर। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रजनीश कुमार शुक्ल ने बताया कि वर्धा स्थित हिन्दी विश्व विद्यालय द्वारा अमरावती जिले के रिद्धपुर में सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी मराठी भाषा तथा तत्त्वज्ञान अध्ययन केंद्र स्थापित किया जाएगा। इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति भारत सरकार से प्राप्त हो गई है।
नागपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुलपति डॉ. शुक्ल ने बताया कि भारत के श्रेष्ठतम संतों में से एक सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी का यह अष्ट जन्मशताब्दी वर्ष है। गुजरात में जन्मे चक्रधर स्वामी कि कर्मभूमि रिद्धपुर रही है। इस जगह चक्रधर स्वामी ने मराठी भाषा में भारतीय दर्शन, श्रीमद्भागवत गीता, सनातन धर्म चिकित्सा सहित विभिन्न विषयों पर ग्रंथों की रचना की। उस विपुल ज्ञान संपदा को सभी भारतीय भाषाओं में अनूदित कर उपलब्ध कराने तथा उन पर अध्ययन और अनुशीलन की व्यवस्था करने का काम प्रस्तावित केंद्र करेगा।
बतौर डॉ. शुक्ल प्रस्तावित मराठी भाषा तथा तत्त्वज्ञान अध्ययन केंद्र मराठी भाषा के भाषा वैज्ञानिक अध्ययन एवं अन्य भारतीय भाषाओं के साथ तुलनात्मक अध्ययन, मराठी में भाषा प्रौद्योगिकी के विकास, मराठी साहित्य एवं अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन, मराठी-हिंदी/भारतीय भाषा तथा हिंदी/भारतीय भाषा-मराठी में साहित्य एवं ज्ञान-सामग्री के अनुवाद और मराठी तत्त्वज्ञान, धर्म एवं संस्कृति के अध्ययन को सुनिश्चित करेगा।
इस केंद्र को बल पहुँचाने के लिए भारत सरकार ने भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली, भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नई दिल्ली को अलग-अलग भूमिकाएँ सौंपी हैं। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी के दर्शन पर शोध परियोजना को प्रायोजित करेगा। भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी की भाषा पर शोध को प्रायोजित करेगा और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी पर तीन किताबों का प्रकाशन करेगा। प्रो. शुक्ल ने विश्वास व्यक्त किया कि, प्रस्तावित केंद्र देश की सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करने में सक्षम होगा।
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कुलपति ने कहा कि चक्रधर स्वामी ने मराठी में महान ग्रंथों की रचना करने के समानांतर धार्मिक एवं सामाजिक सुधार के लिए महानुभाव पंथ की स्थापना की। इस पंथ को मानने वालों की संख्या दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश आदि राज्यों में बहुतायत है।
डॉ. शुक्ल ने बताया कि, महानुभाव पंथ ने महाराष्ट्र में व्याप्त जड़ता और रूढ़ कर्मकांडों का निरंतर विरोध किया। यह पंथ जाति-भेद, स्त्री-पुरुष लिंग-भेद एवं अस्पृश्यता में विश्वास नहीं करता। इसमें स्त्री-पुरुष की समानता पर बहुत बल दिया गया। इसी का परिणाम था कि सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी की शिष्य-परंपरा में स्त्रियों की संख्या बहुत बड़ी थी।
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बतौर कुलपति महाराष्ट्र में जन-जीवन पर इसका व्यापक प्रभाव भी पड़ा। आधुनिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र एवं तत्त्वज्ञान की अपनी एक विशेषता है। इन सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की मूलभूत अवधारणाओं को जानने का अत्यंत महत्त्वपूर्ण मार्ग बोली, भाषा, साहित्य ही है। डॉ. शुक्ल ने बताया कि, इस दृष्टि से चक्रधर स्वामी मराठी भाषा तथा तत्त्वज्ञान अध्ययन केंद्र महती भूमिका का निर्वहन करेगा।
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