सरकार का बड़ा फैसला, अब सरकारी बैंकों के क्लर्क लेबल की परीक्षाएं हिन्दी-इंग्लिश सहित 13 क्षेत्रीय भाषाओं में होंगी

भारत अनन्य भाषों का देश है, मगर केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाएं ज्यादातर दो भाषों में आयोजित की जाती है। 

सरकार का बड़ा फैसला, अब सरकारी बैंकों के क्लर्क लेबल की परीक्षाएं हिन्दी-इंग्लिश सहित 13 क्षेत्रीय भाषाओं में होंगी

नई दिल्ली। भारत अनन्य भाषों का देश है, मगर केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाएं ज्यादातर दो भाषों में आयोजित की जाती है। इस कारण से पब्लिक सेवा क्षेत्र जैसे बैंकों के लिए आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषों पर कमांड रखने वाले परीक्षार्थियों को योग्यता रहने के बाद भी असफलता का मुह देखना पड़ता है। इसी समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब ते किया है कि अब सरकारी बैंकों के क्लर्क लेबल की परीक्षाएं हिन्दी-इंग्लिश के साथ 13 क्षेत्रीय भाषाओं में भी होंगी। 

वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने सिफारिश की है कि 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए लिपिक भर्तियों और अब से विज्ञापित रिक्तियों को आगे बढ़ाते हुए, प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षाएं अंग्रेजी और हिंदी के साथ-साथ 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाएंगी। क्षेत्रीय भाषाओं में लिपिकीय परीक्षा आयोजित करने का यह निर्णय IBPS (Institute of Banking Personnel Selection) के साथ आगामी एसबीआई रिक्तियों पर भी लागू होगा, जो पहले से विज्ञापित रिक्तियों के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया के पूरा होने के बाद होगा।

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ज्ञात हो कि यह निर्णय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) में क्षेत्रीय भाषाओं में लिपिक संवर्ग के लिए परीक्षा आयोजित करने के मामले को देखने के लिए वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति की सिफारिश पर आधारित है। IBPS (Institute of Banking Personnel Selection) द्वारा शुरू की गई परीक्षा आयोजित करने की चल रही प्रक्रिया को समिति की सिफारिशें उपलब्ध कराए जाने तक रोक कर रखा गया था। समिति ने स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसरों के लिए एक समान अवसर प्रदान करने और स्थानीय/क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से ग्राहकों के साथ ऊपरी हाथ रखने के उद्देश्य से काम किया।

ज्ञात हो कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के इस निर्णय से न सिर्फ बैंकिंग की तैयारी करने वाले परीक्षार्थियों को लाभ होगा, अपितु बैंक के क्षेत्रीय ग्राहकों को भी इससे आसानी होगी। वित्त मंत्रालय के इस निर्णय से हर क्षेत्र में उसी भाषा के जानकार कर्मचारियों की नियुक्ति की जा सकेगी। इससे पीएसबी बैंकों में ग्राहक-कर्मचारी के बीच संवाद की समस्या भी कम होगी।

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