पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका
जौहर ट्रस्ट की अतिरिक्त जमीन सरकार में निहित करने के एडीएम के आदेश को वैध बताया

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां के मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर द्वारा अधिग्रहीत 12.50 एकड जमीन के अतिरिक्त जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त के आदेश को सही करार दिया है। हाईकोर्ट ने सोमवार को एसडीएम की रिपोर्ट व एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी है। विश्वविद्यालय निर्माण के लिए लगभग 471 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी। केवल 12.50 एकड़ जमीन ही ट्रस्ट के अधिकार में रहेगी। एसडीएम की रिपोर्ट व एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका आज हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गयी तथा अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया। गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड, जमीन व नदी किनारे की सरकारी जमीन ले ली गई। किसानों से जबरन बैनामा लिया गया, जिसमें 26 किसानों ने पूर्व मंत्री व ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। कोर्ट ने कहा कि निर्माण पांच साल में होना था वह नहीं हुआ और वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई।
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कानूनी उपबंधों व शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार हाईकोर्ट ने कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है।
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मालूम हो कि 7 नवम्बर 2005 को सरकार ने ट्रस्ट को 400 एकड़ जमीन की मंजूरी दी। जिसमें से 12.50 एकड़ में विश्वविद्यालय बनाने की सीलिंग की गई। 17 जनवरी 2006 को 45.1 एकड़ जमीन तथा 16 सितम्बर 2006 को 25 एकड़ अतिरिक्त जमीन की मंजूरी दी गई। एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया कि 24,000 वर्ग मीटर जमीन में निर्माण कार्य कराया जा रहा है। शर्तों का उल्लघंन किया गया है। याची का कहना था कि ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहम्मद आजम खां, सचिव डॉ ताजीन फातिमा व सदस्य अब्दुल्ला आजम खां 26 फरवरी 20 से सीतापुर जेल में बंद हैं। एसडीएम की रिपोर्ट एकपक्षीय है। जेल में बंद अध्यक्ष व सचिव को नोटिस नहीं दी गई। सरकार की तरफ से कहा गया कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना अनुमति के ली गई। ऐसा अधिग्रहण अवैध है। गांव सभा व नदी किनारे की सार्वजनिक उपयोग की जमीन ले ली गई। शत्रु सम्पत्ति की जमीन भी मनमाने तरीके से ली गई। अधिग्रहण शर्तों के विपरीत विश्वविद्यालय परिसर में मस्जिद का निर्माण कराया गया। कहा गया कि शासन की कार्यवाही नियमानुसार है। ट्रस्ट को सरकार ने 7 नवम्बर 2005 को शर्तों के अधीन जमीन दी थी। स्पष्ट था कि शर्तों का उल्लंघन करने पर जमीन वापस राज्य में निहित हो जायेंगी।
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