मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना: हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई
चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ एनसीआर में रहने वाले वकीलों को भी देने के सिंगल बेंच के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी। मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी। दिल्ली सरकार की ओर से वकील सत्यकाम ने कहा कि सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस तो जारी किया गया है लेकिन आदेश पर रोक नहीं लगाने की वजह से दिल्ली सरकार को उन वकीलों के लिए भी प्रीमियम देना होगा जो एनसीआर में रहते हैं। अगर इस मामले का फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में भी आता है तो भी फैसला आने तक उसे आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 अगस्त को इस मामले के याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया गया था। सिगल बेंच के आदेश को दिल्ली सरकार ने चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील राजीव नय्यर ने कहा कि किन वकीलों को मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ मिले, ये नीतिगत मामला है। उन्होंने कहा कि सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार पर ये जिम्मेदारी डाली है कि वो एनसीआर में रहने वाले वकीलों को भी इस योजना का भी लाभ दें। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार चाहती है कि इस योजना का लाभ दिल्ली में रहने वाले वकीलों को मिले।
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सुनवाई के दौरान वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि एनसीआर में रहने वाले वकील भी दिल्ली में प्रैक्टिस कर सकते हैं लेकिन तमिलनाडु और दूसरे राज्यों के वकील दिल्ली में प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। ऐसे में सिंगल बेंच का फैसला बिल्कुल सही है। जस्टिस प्रतिभा सिंह की सिंगल बेंच ने पिछले 12 जुलाई को कहा था कि मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ केवल दिल्ली में रहने वाले वकीलों तक ही सीमित नहीं होगा। सिंंगल बेंंच ने कहा था कि इस योजना का लाभ दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड उन वकीलों को भी मिलेगा जो एनसीआर में रहते हैं।
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हाई कोर्ट में छह याचिकाएं दाखिल की गई थीं। एक याचिका दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी) ने भी दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि एनसीआर में रहनेवाले दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत वकीलों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली की मतदाता सूची में शामिल वकीलों को ही मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के वेलफेयर फंड का देने का दिल्ली सरकार का फैसला मनमाना और गैरकानूनी है। याचिका में कहा गया था कि इस योजना का मकसद दिल्ली की अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों का कल्याण करना था लेकिन दिल्ली सरकार की इस अनुशंसा से इस योजना का मकसद ही फेल हो गया है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने बताया था कि दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत 37,142 वकीलों ने इस योजना के लिए आवेदन दिया था। उसमें से दिल्ली बार काउंसिल ने 29,098 वकीलों का वेरिफिकेशन किया जो दिल्ली के निवासी हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने 17 दिसंबर, 2019 को मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के तहत दिल्ली में रहनेवाले वकीलों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और दस लाख रुपये का टर्म बीमा देने की घोषणा की थी।
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