अनिल देशमुख के वकील और सीबीआई के एसआई की जमानत याचिका खारिज

कोर्ट ने पिछले 6 सितंबर को दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था

 
कोर्ट ने पिछले 6 सितंबर को दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था

नई दिल्ली। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विमल यादव ने सीबीआई के दस्तावेज लीक करने के लिए रिश्वत देने के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के वकील आनंद डागा और सीबीआई के एसआई अभिषेक तिवारी की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने पिछले 6 सितंबर को दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था। पिछले 4 सितंबर को आनंद डागा और अभिषेक तिवारी ने जमानत याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि अभिषेक तिवारी ने आनंद डागा से जांच की जानकारी देने के लिए आईफोन 12 प्रो और दूसरे महंगे गिफ्ट लिए थे। सीबीआई ने कहा था कि जांच के सिलसिले में अभिषेक तिवारी पुणे गए थे, जहां उसे रिश्वत के रूप में महंगे गिफ्ट दिए गए। दस्तावेज लीक करने की एवज में तिवारी डागा से कई बार गिफ्ट ले चुका है।

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सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक देशमुख के खिलाफ जांच के लिए जांच अधिकारी और सीबीआई के डीएसपी आरएस गुंजियाल और तिवारी 6 अप्रैल को मुंबई गए। इस दौरान दोनों ने 14 अप्रैल को देशमुख समेत कई गवाहों के बयान दर्ज किए थे। अभिषेक तिवारी के पास संवेदनशील दस्तावेज थे। तिवारी ने डागा से कई संवेदनशील दस्तावेज व्हाट्स ऐप के जरिये साझा किया था। उसके बाद सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर अनिल देशमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। सुनवाई के दौरान 2 सितंबर को आनंद डागा की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने एफआईआर की कॉपी देने की मांग की। तब सीबीआई ने कहा कि एफआईआर 31 अगस्त को दर्ज की गई है। एफआईआर की कॉपी जल्द ही दी जाएगी। तब मीर ने कहा था कि जब तक हमें एफआईआर की कॉपी नहीं, तब तक कैसे पता लगेगा कि आरोप क्या हैं। एफआईआर एक सार्वजनिक दस्तावेज है। तब सीबीआई ने कहा था कि सर्च वारंट जारी किया गया है। ये गोपनीय दस्तावेज हैं। तब मीर ने सुप्रीम कोर्ट के यूथ बार एसोसिएशन के फैसले को उद्धृत करते हुए कहा था कि इसकी कॉपी कोर्ट को मेल कर दी गई है। एफआईआर की कॉपी 24 घंटे के अंदर देने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। तब कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि कम से कम एफआईआर की कॉपी आरोपित के वकील को पढ़ने के लिए दें।

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सीबीआई ने कहा था कि अभिषेक तिवारी ने साजिश के तहत दस्तावेजों को लीक किया और उसके बदले में रिश्वत ली। ये लगातार होता रहा है। तिवारी और डागा को 1 सितंबर की रात में गिरफ्तार किया गया। तब मीर ने कहा था कि अरेस्ट मेमो की कॉपी दीजिए। तब सीबीआई ने कहा कि मुंबई की कोर्ट ने ट्रांजिट रिमांड पर दिया। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेज कोर्ट को दिए। सीबीआई ने दोनों की सात दिनों की रिमांड की मांग की थी। कोर्ट ने बताया था कि सीबीआई के सब-इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी की ओर से कोई पेश नहीं हुआ है। तब विधिक सहायता केंद्र की ओर से संतोष सिंह बर्थवाल ने कहा कि मैं पेश हुआ हूं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को कहा था कि अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध उगाही समेत दूसरे आरोपों का सामना कर रहे देशमुख के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था।

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