ज्योतिष अनुसार चन्द्रमा को माता का सूचक और मन का कारक माना जाता हैं। सूर्य तथा बुध चंद्रमा के मित्र ग्रह और राहु-केतु शत्रु ग्रह होते हैं। चन्द्रमा कुंडली में चौथे भाव का स्वामी होता हैं। वृष राशि में चंद्रमा उच्च और वृश्चिक राशि में नीच का होता हैं। जिस भी जातक की कुंडली में चंद्रमा कमजोर अथवा नीच अवस्था में होता है, उसे जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक का मन अक्सर अशांत रहता है, वह अवसाद से घिरा रहता है और वह कभी भी एकाग्र होकर किसी कार्य को पूरा नहीं कर पाता है। ऐसा व्यक्ति किसी के सामने अपने मन की बात भी नहीं कह पाता है।
कुंडली में चन्द्रमा कमजोर क्यों हो जाता है?
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कुंडली में राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़ने से चन्द्र खराब फल देने लगता है।
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सामन्यतः चन्द्रमा छठे, आठवें और बारहवें भाव में अच्छे परिणाम नहीं देता।
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घर में जल का स्थान या दिशा दूषित होने से भी कुंडली में चन्द्रमा दूषित हो जाता है।
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पूर्वजो का अपमान और श्राद्ध कर्म न करने से भी चन्द्रमा नीच हो जाता हैं।
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माता का अपमान करने या उससे विवाद करने पर चन्द्र अशुभ प्रभाव देने लगता है।
चन्द्रमा खराब वाले व्यक्ति को मानसिक सुख की कमी रहती है, शिक्षा अधूरी छूट जाती है और साथ ही साथ मानसिक बिमारी जैसे की एपिलेप्सी इत्यादि का भी भय रहता है। ध्यान रहे ऐसे जातक को कभी पैसे उधार नहीं देने चाहिए। |
खराब चन्द्रमा के कारण जीवन में कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है जैसे घर में माता का बीमार होना, घर में पानी की समस्या, दूध देने वाले जानवर का मर जाना, चन्द्रमा से जुड़े व्यापार (कपडे, समुद्री सामग्री, मछली, दूध और अन्य व्यापार इत्यादि) में नुक्सान इत्यादि समस्या होने लगती है। इसके साथ-साथ खराब चंद्र के कारण सर्दी-जुकाम बना रहता है, मिर्गी, पागलपन, epilepsy जैसी शिकायत भी होने लगती हैं। जिन स्त्रियों का चंद्रमा खराब होता हैं उनके मासिक धर्म अस्थिर रहते हैं। ऐसे लोगो की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है, मानसिक तनाव, मन में घबराहट, तरह-तरह की शंका और अनिश्चित भय बना रहता हैं और यहाँ तक की जातक के मन में कभी-कभी आत्महत्या करने का विचार भी आता हैं।
ज्योतिषी रजत सिंगल (Rajat Singal) जी से जाने चन्द्रमा को मजबूत करने के कुछ सरल उपाय –
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शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चे दूध से अभिषेक करे और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
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माता को कभी कष्ट न दें और माता तुल्य महिलाओं का सम्मान करें।
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चांदी के गिलास में जल व दूध ग्रहण करें और चंद्र स्तोत्र का पाठ करें।
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उत्तर-पश्चिम दिशा चंद्रमा की होती है उसमें किसी भी तरह का वास्तु दोष न रहें।
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अपने निवास स्थान पर जल को दूषित और व्यर्थ बर्बाद न करें।
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रविवार के दिन तुलसी, पीपल इत्यादि धार्मिक पौधों में जल न दे
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रात में सोने से पहले पास में पानी रखे और उस पानी को सुबह पौधों में डाल दे लेकिन तुलसी, पीपल, बरगद इत्यादि पौधे में न दे।
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चंद्रमा को पूर्णिमा के दिन अर्घ्य दें,
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किसी भी रूप में चांदी धारण करें या चांदी का सिक्का पास रखें।
चन्द्रमा से सम्बंधित दान, यंत्र, चांदी की अंगूठी या लॉकेट धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य ले।
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