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November 8, 2024 2:03 pm

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मोहन भागवत: उठाए कई सवाल; चुनाव के बाद संघ प्रमुख “मोहन भागवत” की पहली प्रतिक्रिया….

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चुनाव हो चुके हैं, सरकार ने शपथ ले ली है, मंत्रियों को विभाग भी बांट दिए गए हैं. चुनाव के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया है लेकिन इशारों-इशारों में कई बातें कही हैं. उन्होंने चुनाव में संघ को घसीटे जाने, चुनाव में मर्यादा, मणिपुर में अशांति, दूसरों के मत का सम्मान जैसे मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. वो नागपुर में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय समापन समारोह’ को संबोधित कर रहे थे.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव परिणाम आ चुके हैं. सरकार भी बन चुकी है. जो हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ? ये लोकतंत्र के नियम हैं, समाज ने अपना मत दे दिया है, संघ के लोग इसमें नहीं पड़ते हैं. हम चुनाव में परिश्रम करते हैं. जो सेवा करता है वो मर्यादा से चलता है. काम करते सब लोग हैं लेकिन कुशलता का ध्यान रखना चाहिए. ऐसी मर्यादा रखकर काम करते हैं. मर्यादा ही अपना धर्म और संस्कृति है.

चुनाव में संघ जैसे संगठन को घसीटा गया

संघ प्रमुख ने कहा कि संसद इसलिए होती है क्योंकि सहमति हो. स्पर्धा की वजह से इसमें दिक्कत आती है. इसलिए बहुमत की बात होती है. चुनाव में संघ जैसे संगठन को भी घसीटा गया. कैसी-कैसी बातें की गईं. तकनीक का सहारा लेकर ऐसा किया गया. विद्या का उपयोग प्रबोधन करने के लिए होता है लेकिन आधुनिक तकनीक का गलत इस्तेमाल किया गया. चुनाव लड़ने में एक मर्यादा होती है.

पिछले 10 साल में बहुत कुछ अच्छा हुआ है

उन्होंने कहा कि सरकार बन गई है. वही सरकार (एनडीए) फिर से आ गई है. पिछले 10 साल में बहुत कुछ अच्छा हुआ है. वैश्विक स्तर पर पहचान अच्छी हुई है. प्रतिष्ठा बढ़ी है. विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं. हमें अभी अन्य समस्याओं से राहत लेनी है.

मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा

मोहन भागवत ने कहा कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है. वो साल भर से सुलग रहा है या सुलगाया गया है, इसका ध्यान देना होगा. हमें कैसा बनना है, इसका ध्यान रखना है. संस्कृति से संरक्षण का सवाल है. सबको खुद पर संयम रखना होगा. बहुत काम करने बचे हैं. सभी काम केवल सरकारों को नहीं करने हैं. हम इनकी चर्चा करते हैं लेकिन चर्चा करने से ही सब कुछ नहीं होता.

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हमारा समाज विविधताओं से भरा हुआ है

संघ प्रमुख ने कहा कि समाज को भी कदम उठाना होगा. समाज को खुद को खड़ा करना होगा. फ्रांसीसी क्रांति में आक्रोश शिखर पर था. यही रूस में हुआ है, वहां के समाज में ये तय हो गया कि इससे बाहर आना है. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर कहते हैं कि बड़ा परिवर्तन होने से पहले आध्यात्मिक जागरण होता है. समाज के निर्माण का काम करना है. समाज में संस्कार चाहिए. हमारा समाज विविधताओं से भरा हुआ है.

उन्होंने कहा कि समाज में एकता चाहिए. अन्याय होता रहा है इसलिए आपस में दूरी है. बहुत गहरे घाव हैं, उसकी पीड़ा है. अन्याय के प्रति जो चिढ़ है, उससे अपने ही लोग गुस्सा हैं. पास आना और एक होने का रास्ता क्या होगा. रास्ता बस यही है कि उसे भूलो. डर है तो शक्ति संपन्न बनो.

पैगंबर साहब का इस्लाम क्या है, यह सोचना होगा

मोहन भागवत ने कहा कि पैगंबर साहब का इस्लाम क्या है, यह सोचना होगा. भगवान ने हम सबको बनाया है. उनकी बनाई कायनात के बारे में सोचना होगा. मत और तरीके अलग हो सकते हैं लेकिन इस देश के सभी लोगों को अपना भाई मानना होगा. विचार तो अच्छे होते हैं लेकिन दशकों की जो आदत है उसे सुधारने में समय लगता है. इसी के लिए संघ की शाखा होती है. संघ इसी के लिए है.

संयम से रहें, हमें अय्याशी नहीं चाहिए

उन्होंने कहा कि समाज से 5 बातों का आग्रह है . इसमें सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्व- आधिरत व्यवहार है. हम संयम से रहें. हमें अय्याशी नहीं चाहिए. हमें संयमित उपभोग पर ध्यान देना है. अनावश्यक खर्च से बचना है. सादगी से रहना है. स्वदेशी को व्यवहार में लाना है. जो अपने देश में बनता है, उसे बाहर से नहीं लेना है. अपने देश की व्यवस्था, संविधान और कानून का पालन करना. लाल बत्ती पर रुक जाना. टैक्स को समय पर जमा करना. ये सब कुछ हम कर सकें, इसके लिए हफ्ते में एक बार परिवार के साथ बैठकर बात करना.

काम करें लेकिन मैंने किया, ये अहंकार मत पालें

संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी परंपरा को विश्व की जरूरत है. इससे दुनिया को राहत मिलेगी. हमारा जीवन भी सार्थक होगा. संघ की शाखाओं में कैसे क्या होता है, ये दूर से नहीं पता चल सकता है. इसमें आपको सहभागी बनना होगा. संघ के स्वयं-सेवक अनेक कार्य करते हैं. जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं, जिसके लिए ये स्वयं-सेवक कार्य न करते हों. काम करें लेकिन मैंने किया है ये अहंकार मत पालें.

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