शरीर के सही रूप से कार्य करने और हेल्दी रहने के लिए सभी तरह के पोषक तत्व बहुत जरूरी होते हैं. इसमें कैल्शियम भी बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. यह दातों और हड्डियों को मजबूत बनाता है, जिससे गिरना पर फ्रैक्चर का खतरा कम रहता है. लेकिन इसके अलावा भी यह हमारी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है.
दूध और दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स में कैल्शियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है. यह तो सभी न सुना होगा है. ऐसे में यह भी कहा जाता है कि जिन लोगों को लैक्टोज इंटॉलरेंस है उनके शरीर को कैल्शिय सही से नहीं मिल पाता है. लेकिन यह सिर्फ एक मिथक है. आइए जानते हैं एक्सपर्ट से .ऐसे कई मिथक में उनका की राय है.
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कैल्शियम सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाता है
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में कंसलटेंट इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर रोहित शर्मा ने बताया कि यह सोचना गलत है कि कैल्शियम का काम सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाना है. हड्डियों और दांतों के अलावा, कैल्शियम हमारे शरीर में कई और जरूरी काम करता है. यह खून को जमने की की प्रक्रिया में भी शामिल होता है, मांसपेशियों को सही ढंग से काम करने, दिल की धड़कन को सामान्य रखने और दिमाग से संदेशों को भेजने-पाने में भी मदद करता है. अगर हमारे शरीर को सही मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलता, तो न केवल हड्डियां कमजोर होती हैं, बल्कि मांसपेशियों में ऐंठन, थकान और दिल की धड़कन भी अनियमित हो सकती है.
लैक्टोज इंटॉलरेंस होने पर शरीर को सही से कैल्शियम नहीं मिल पाता है
कई लोगों को दूध और कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स से एलर्जी होती है. तो इस कंडीशन में कैल्शियम पाने के लिए सिर्फ सप्लीमेंट ही एकमात्र तरीका नहीं है. मूंगफली, तिल, बादाम, ओट्स, ब्रोकली, सोया प्रोडक्ट्स और हरी पत्तेदार सब्जियों में भी काफी कैल्शियम होता है. आज के समय में कई फूड्स जैसे कि संतरे का जूस और टोफू भी कैल्शियम से भरपूर होता है, इन्हें कैल्शियम फोर्टिफाइड कहते हैं.
कैल्शियम सप्लीमेंट्स को दूध के साथ ही लेना चाहिए
कई लोग मानते हैं कि कैल्शियम सप्लीमेंट दूध के साथ लेने से ही उनका असर पड़ता है. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि कैल्शियम कार्बोनेट को भोजन के साथ लेना बेहतर होता है, जबकि कैल्शियम सिट्रेट को खाली पेट भी लिया जा सकता है. कुछ सप्लीमेंट्स अपने तत्वों के कारण दूध के साथ लेने पर कम असरदार हो सकते हैं. इसलिए कैल्शियम या फिर कोई भी सप्लीमेंट हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेने चाहिए.
सिर्फ डायरी प्रोडक्ट्स में कैल्शियम पाया जाता है
एक्सपर्ट ने बताया कि यह बिल्कुल गलत है. दूध, दही और पनीर कैल्शियम का अच्छा सोर्स जरूर होते हैं, लेकिन पालक, सफेद तिल, चिया सीड्स, राजमा, सब्जियां (भिंडी, ब्रोकली), मछली और अंडे भी कैल्शियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है. इसलिए, शाकाहारी लोग भी सही खान-पान से अपनी कैल्शियम की जरूरत को पूरा कर सकते हैं.
बच्चों को कैल्शियम की जरूरत सिर्फ शारीरिक विकास के लिए होती है
कैल्शियम बच्चों के शरीर के केवल विकास के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी हड्डियों, दांतों, मांसपेशियों, नर्वस सिस्टम और हार्ट को हेल्दी रखने के लिए बहुत जरूरी होता है. यह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखने और हार्मोन को सही ढंग से काम करने में भी मदद करता है. कम उम्र में कैल्शियम की कमी से आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है. साथ ही ग्रोथ में परेशानी हो सकती है.
ऑस्टियोपोरोसिस सिर्फ बुजुर्गों को होता है
ऑस्टियोपोरोसिस अक्सर बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलता है, लेकिन यह बीमारी किसी खास उम्र के लिए नहीं है. यह पोषण की कमी, बहुत ज़्यादा दवाइयाँ लेने, हार्मोनल समस्याओं, जेनेटिक या कम उम्र में पीरियड्स शुरू होने के कारण युवाओं में भी हो सकता है. जिन महिलाओं का पीरियड्स जल्दी बंद हो जाता है, उन्हें भी इसका खतरा रहता है.
