Kolkata doctor murder case: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की दरिंदगी के बाद हत्या से उपजे आक्रोश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों और मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा के लिए नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कम्यूनिटी से जुड़े लोगों को शामिल किया है. साथ ही एक्शन प्लान को तय समय सीमा के अंदर लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी हेल्थ सेक्रेटरी, कैबिनेट सेक्रेटरी, नेशनल मेडिकल काउंसिल के चेयरमैन, प्रेसिडेंट नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन आदि को भी सदस्य बनाया गया है. ऐसे में सवाल है कि यह टास्क फोर्स क्या काम करेगी? और क्या अब डॉक्टर सुरक्षित हो पाएंगे?
इस 14 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. सौमित्र रावत, सर्जिकल गैस्ट्रो एंड लिवर ट्रांसप्लांट चेयरमैन, सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली ने कहा, ‘जो टास्क फोर्स बनी है, उसमें हमें दो चीजों को सुनिश्चित करना है. पहली है मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा. यानि मेडिकल प्रोफेशनल्स के खिलाफ होने वाली हिंसा से उनका बचाव करना और दूसरी चीज है डॉक्टर्स, ट्रेनिंग डॉक्टर्स, रेजिडेंट्स, नर्सेज और अन्य मेडिकल प्रोफेशनल्स के काम करने के लिए बेहतर और सुरक्षित स्थितियों का होना.
टास्क फोर्स एक्शन प्लान पर करेगी काम
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस फोर्स के लिए एक्शन प्लान भी दिया गया है. जिसमें डॉक्टरों की सुरक्षा से संबंधित इन मुद्दों पर गहराई से काम किया जाएगा.
. जेंडर आधारित हिंसा को रोकना
. मेडिकल इंटर्न से लेकर रेजिडेंट्स, नॉन रेजिडेंट्स डॉक्टर्स, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ के लिए डिग्निफाइड वर्किंग कंडीशन तैयार करना
. अस्पताल के इमरजेंसी एरिया में अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था हो
. अटेंडेंट्स की आवाजाही अपने मरीज तक ही रहे, आसपास न रहे
. भीड़ को मैनेज करने के लिए सिक्योरिटी का इंतजाम
. डॉक्टर और नर्सेज के लिए जेंडर न्यूट्रियल स्पेस या रेस्ट रूम की व्यवस्था और साथ ही यह एरिया बायोमेट्रिक या फेशियल रिकॉग्निशन से लैस होना चाहिए.
. अस्पताल के सभी एरिया में पर्याप्त रोशनी और सीसीटीवी लगे होने चाहिए
. रात को 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक मेडिकल स्टाफ के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी होनी चाहिए जो सेफ हो
. डॉक्टरों के लिए ऑन कॉल रूम सेफ हो, टॉयलेट्स हों
हर 3 महीनों में सेफ्टी ऑडिट
डॉ. रावत ने बताया कि एक्शन प्लान पर काम करने के साथ ही यह टास्क फोर्स हर 3 महीने पर मेडिकल इंस्टीट्यूट्स में जाकर सेफ्टी उपायों का ऑडिट भी करेगी. ताकि जो भी सुरक्षा गाइडलाइंस हैं, सभी मेडिकल इंस्टीट्यूशंस में उनका पालन हो रहा है या नहीं हो रहा है, इसकी जानकारी हो सके और उन पर एक्शन लेने के साथ ही सुरक्षा उपायों को कठोरता से लागू करवाया जा सके.
डॉक्टरों की सभी मांगों को रखा जाएगा ध्यान
इस फोर्स में एम्स नई दिल्ली के निदेशक, जोधपुर एम्स के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सहित कई बड़े संस्थानों के सर्वोच्च पदाधिकारी हैं और सब मिलकर आइएमए, सीनियर रेजिडेंट्स, जूनियर रेजिडेंट या अन्य मेडिकल स्टाफ की क्या मांगें हैं, इनका ध्यान रखकर ही एनटीएफ अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और सुप्रीम कोर्ट में देगी.
पुरानी गाइडलाइंस की कमियों को सुधारेंगे
डॉ. सौमित्र ने बताया कि यह पहली बार नहीं है कि सेफ्टी के लिए गाइडलाइंस बनेंगी. पहले भी बनी हैं लेकिन नेशनल टास्क फोर्स उन पुरानी गाइडलाइंस की कमियों को सुधारकर नई गाइडलाइंस तैयार करेगी. इतना ही नहीं एक्शन प्लान के माध्यम से तय समय के अंदर उन गाइडलाइंस का पालन भी कराएगी.
ये हैं नेशनल टास्क फोर्स के सदस्य
डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी, एम्स नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, निमहंस बंगलुरू साइकेट्री ही एचओडी डॉ. प्रतिमा मुर्थी, एम्स जोधपुर के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, गंगाराम अस्पताल दिल्ली के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट सदस्य डॉ. सौमित्र रावत, बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस की वीसी प्रोफेसर अनीता सक्सेना, जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पीटल्स से पल्लवी सेपल, पारस अस्पताल गुरुग्राम में न्यूरोलॉजी की चेयरपर्सन डॉ. पद्मा श्रीवास्तव.