पश्चिम बंगाल में सोमवार सुबह को एक मालगाड़ी ट्रेन ने कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) को पीछे से टक्कर मार दी थी. हादसे में अभी तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 60 लोग घायल हैं. मामले पर रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा का कहना है कि मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल की अनदेखी की थी. इस बीच रेलवे सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. अगर दुनिया की सुरक्षित ट्रेनों की बात की जाए तो पहले नंबर पर जापान आता है.
जापान में ट्रेवल करने के लिए रेलगाड़ियां एक लोकप्रिय विकल्प है. जापानी ट्रेन न सिर्फ सुरक्षित हैं बल्कि वो आरामदायक, साफ और बिना लेट किए समय पर चलती हैं. दुनिया की सबसे हाई-स्पीड ट्रेन होने के बाद भी यहां दो ट्रेनों के आपस में भिड़ने के मामले लगभग न के बराबर हैं. आखिरी मामला 2015 में आया था. वह भी उस साल का इकलौता ऐसा मामला था. आइए जानते हैं कि जापान ने कैसे दुनिया की सबसे सुरक्षित रेलवे विकसित की.
जापान रेलवे
जापान में पहला रेलवे 1872 में खोला गया. वहीं, दुनियाभर में मशहूर जापान की बुलेट ट्रेन, जिसे शिंकानसेन भी कहा जाता है, सबसे पहले 1964 में चालू हुई थी. बुलेट ट्रेन आज जापान के समाज का एक हिस्सा बन गई है, जिसपर हर नागरिक को गर्व है. जापान में बुलेट ट्रेन को चलते 50 साल हो गए हैं. 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने के बावजूद, जापान की रेलगाड़ियां अविश्वसनीय रूप से सुरक्षित हैं. रिपोर्ट के मुताबित, इतने सालों की निरंतर सेवा के बाद भी ये किसी यात्री दुर्घटना का शिकार नहीं हुई है.
माना जाता है कि बुलेट ट्रेन ने जापानी रेलवे के विकास स्तर को दुनिया में सबसे आगे पहुंचा दिया. 1987 में, सरकार ने जापान नेशनल रेलवे (JNR) को विभाजित करने और उसका निजीकरण करने का कदम उठाया था. आज, देश का लगभग 70 प्रतिशत रेलवे नेटवर्क जापान रेलवे (JR) ग्रुप कंट्रोल करता है. यह ग्रुप JRN का उत्तराधिकारी है. बाकी का बचा हुआ रेलवे नेटवर्क दर्जनों प्राइवेट रेलवे कंपनियों द्वारा संचालित किया जाता है.
First Time Sex: महिलाओं का पहली बार सेक्स के दौरान होने वाले शारीरिक बदलाव…..
जापान रेलवे सबसे सुरक्षित क्यों है?
जापान में पहली घातक रेलवे दुर्घटना रेलवे के शुरू होने के 5 साल बाद 1877 को हुई थी. तब एक ट्रेन आउट-ऑफ-सर्विस वाली दूसरी ट्रेन से टकरा गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. लेकिन जब भी जापान में कोई रेलवे हादसा हुआ हर बार उन जैसी दुर्घटनाओं को कम करने के लिए नए सुरक्षा उपाय लाए गए.
- सेंट्रल मैनेजमेंट: ट्रेनों के संचालन के बारे में सभी जानकारी जनरल कंट्रोल सेंटर में केंद्रीय रूप से मैनेज की जाती है. इस डेटा के आधार पर ऑपरेशन कमांडर ट्रेन संचालन को नियंत्रित करने के लिए उचित निर्देश जारी करते हैं जिससे सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है.
- ट्रेक पर हर समय रहती है निगरानी: पटरियों पर कुछ भी गिरने से रोकने और लोगों और वाहनों को उस क्षेत्र में अंदर घुसने से रोकने के लिए सुविधाएं मौजूद हैं. इस एरिया की लगातार निगरानी की जाती है. अगर पटरियों पर कोई चीज या कोई व्यक्ति वहां से गुजरता हुआ पाया जाता है, तो सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ट्रेन को तुरंत रोक दिया जाता है. इसके अलावा, रेलवे ट्रैक के किनारे स्थापित सेंसर और अन्य उपकरणों की मदद से बारिश, बर्फबारी, हवा की गति, नदी के स्तर और बाकी पर्यावरणीय तत्वों पर नजर रखी जाती है. परिस्थितियों के आधार पर, यात्रियों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए ट्रेन की गति या संचालन बंद करने पर नियंत्रण रखा जाता है.
- भूकंपरोधी सिस्टम: जापान में सालाना कई बार भूकंप आता है. उससे निपटने के लिए यहां की ट्रेनों में इस तरह की तकनीक को शामिल किया गया है जो भूकंप आने से पहले स्थिति को समझने में मददगार है. रेलवे लाइन पर अलग-अलग जगह पर सीसमोग्राफ सिस्टम इंस्टॉल किया गया है. जापान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह सिस्टम भूकंप की तरंगों को रीड कर भूकंप के केंद्र की अनुमानित लोकेशन पता कर लेता है. उस आधार पर सिस्टम ट्रेन की पावर को कट कर देता है. इस तरह ट्रेन रुक जाती है और नुकसान होने का खतरा कम हो जाता है.
- मेंटीनेंस और जांच में सख्ती: जापान में मेंटीनेंस को लेकर सख्ती बरती जाती है. मेंटीनेंस का स्तर कैसा रहा, इसकी जांच की जाती है. इस दौरान रेलवे के विशेषज्ञों के जरिए तैयार मैन्युअल से तुलना की जाती है. जापान की रेलवे यात्रा को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में सतत मेंटीनेंस अहम कारण रहा है.