ईरान-इजरायल युद्ध के बीच ईरानी परमाणु संयंत्रों पर अमेरिकी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया भी आ गई है. भारत ने सधे शब्दों में कहा है कि संवाद और कूटनीति से समस्याओं का हल निकाला जाना चाहिए. भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को संवाददाताओं के सवालों के जवाब में ये प्रतिक्रिया दी है. पीयूष गोयल ने कहा, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हमेशा यही सोच रही है कि युद्ध समस्याओं के हल का रास्ता नहीं है. संवाद और कूटनीति के रास्ते से ही इसका समाधान निकाला जाना चाहिए.
पीएम मोदी ने भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कहा था कि आज जब पूरे विश्व में अशांति, तनाव और अस्थिरता बढ़ती जा रही है, तो ऐसे वक्त योग शांति की दिशा देता है. यह ऐसी समस्याओं पर विराम जैसा है. गौरतलब है कि ईरान-इजरायल युद्ध की शुरुआत से ही भारत का रुख सधा रहा है. भारत ने डायलॉग और डिप्लोमेसी के जरिये गतिरोध का हल निकालने की वकालत की है. ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के मित्र देश हैं.
तो इस तरह खुद को करें मोटिवेट…….’सोचने के बाद भी नहीं कर पा रहे हैं योग……
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रतिक्रिया दी है.ओवैसी ने ईरान पर अमेरिकी हमले की निंदा की है.उन्होंने कहा कि ये हमला अंतरराष्ट्रीय कानून और यूएन चार्टर का उल्लंघन है. ऐसे हमलों से आप ईरान को रोक नहीं पाएंगे और अगले 5-10 सालों में वो परमाणु हथियारों से संपन्न देश बन जाएगा. अमेरिकी हमले के पहले ही ईरान ने अपने भंडार वहां से हटा लिए थे. कई अरब मुल्क ये मानते हैं कि उनके पास परमाणु ताकत होनी चाहिए.
ओवैसी ने कहा, अमेरिका ने अपनी संसद की मंजूरी के बिना ये हमला किया है. इसमें संयुक्त राष्ट्र के संविधान की धज्जियां उड़ाई गई हैं. ईरान अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का सदस्य है.उसने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए हैं. ईरान पर हमले के बाद अब खाड़ी के बहुत सारे इस्लामिक देशों को लगेगा कि उनके पास परमाणु बम होना चाहिए. ये दुष्प्रचार खड़ा किया जा रहा है कि ईरान के पास परमाणु हथियार हैं. ऐसा ही प्रोपेगैंडा इराक और लीबिया के खिलाफ तैयार किया गया था, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला.
