Is Fasting Safe for Diabetic Patients? फास्टिंग यानी उपवास को अक्सर डिटॉक्स और हेल्थ बेनिफिट्स से जोड़ा जाता है. लेकिन जब बात डायबिटीज़ मरीजों की आती है, तो ये सवाल उठता है — क्या फास्टिंग उनके लिए ठीक है? कई लोग सोचते हैं कि उपवास से शुगर लेवल कंट्रोल होगा, तो कुछ डरते हैं कि भूखा रहने से कमजोरी या शुगर डाउन हो सकता है. इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए एक्सपर्ट्स की राय जानना जरूरी है.
डायबिटीज़ में फास्टिंग फायदे का सौदा हो सकता है, लेकिन हर किसी के लिए नहीं. सही गाइडेंस, मॉनिटरिंग और डॉक्टर की सलाह के बिना उपवास करना खतरनाक भी हो सकता है. अगर आप फास्टिंग करना चाहते हैं तो पहले अपने एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या डाइटीशियन से सलाह लें. क्योंकि शुगर कंट्रोल का रास्ता संयम से होकर गुजरता है, पर लापरवाही से नहीं.
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क्या डायबिटीज़ में फास्टिंग फायदेमंद हो सकता है?
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग में डॉ पुनीत कुमार बताते हैं कि सही तरीके से की गई फास्टिंग, इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बना सकता है और वजन घटाने में मदद कर सकता है. जो टाइप-2 डायबिटीज़ के मरीजों के लिए अच्छा है. खासकर इंटरमिटेंट फास्टिंग (जैसे 16:8 पैटर्न) से शरीर को कुछ घंटे बिना भोजन के रहने की आदत पड़ती है, जिससे ब्लड शुगर स्पाइक्स कम होते हैं.
लेकिन फास्टिंग सभी डायबिटिक पेशेंट्स के लिए सही नहीं!
डॉ कुमार कहते हैं किअगर आप इंसुलिन या शुगर-लोअरिंग मेडिसिन लेते हैं, तो उपवास के दौरान ब्लड शुगर बहुत तेजी से गिर सकता है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) यानी खतरनाक लो ब्लड शुगर हो सकता है.
इसके लक्षण हैं —
चक्कर आना, पसीना, घबराहट, कंपकंपी और बेहोशी तक. इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के डायबिटीज़ मरीजों को फास्टिंग शुरू नहीं करना चाहिए.
उपवास करते समय किन बातों का ध्यान रखें?
1. डॉक्टर से सलाह लें:
फास्टिंग शुरू करने से पहले अपनी दवाओं और डायबिटीज़ की स्थिति की जांच करवाएं.
2 हाइड्रेशन बनाए रखें:
दिनभर पर्याप्त पानी और बिना शक्कर वाले तरल पिएं.
3 ब्लड शुगर मॉनिटर करें:
हर कुछ घंटों में शुगर लेवल चेक करें.
4 हल्का और पोषक भोजन लें:
उपवास के दौरान फल, ओट्स, दही, सूप जैसी चीजें लें जो धीरे-धीरे पचें और लंबे समय तक ऊर्जा दें.
5 लक्षणों पर नजर रखें:
कमजोरी, झुनझुनी या धड़कन तेज लगे तो तुरंत फास्ट तोड़ें और डॉक्टर से संपर्क करें.
किन लोगों को फास्टिंग नहीं करनी चाहिए?
– जिनकी शुगर बहुत अनकंट्रोल्ड है
– जो इंसुलिन पर निर्भर हैं
– जिन्हें बार-बार हाइपोग्लाइसीमिया की शिकायत होती है
– गर्भवती महिलाएं या बुजुर्ग डायबिटिक मरीज
