इंदौर की अरुणाभ संस्था के संस्थापक आशीष कट्टी स्टाफ , व्यंकटेश कट्टी ,ज्योति पारखी,.सोनिया वढेरा, शीतल जैन ,विशाखा , संगीता ,प्रीति ,कमल भैया दिलीप 35 स्पेशल छात्रों को लेकर होली के लिए प्राकृतिक रंगों की ट्रेनिंग लेने जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट सेंटर आये । सेंटर की निर्देशिका डॉ जनक पलटा मगिलिगन ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया । कदम रखते ही स्पेशल छात्रों /बच्चों का सबसे पहले प्रकृति के सौंदर्य प्रति उत्साह देखते ही बन रहा था । उन्होंने , गाय देखी , खुशहाल पेड़-पौधे फूल-फ्ल , जड़ी-बूटियां ,शुद्ध-हवा, जीव-जंतु ,पवन चक्की , ,सोलर डीहाइड्रेटर और सोलर किचन देखा, सोलर कुकर से रंग बनता देखा ।
कार्यशाला का शुभारंभ जनक दीदी द्वारा एक बहाई प्रार्थना से हुआ। स्पेशल छात्रों में से आदित्य और आशीतोष ने प्रार्थना गाई । जनक दीदी ने होली के लिए गुलाब ,बोगनविलिया , टेसू /पलाश जैसे फूलों , पोई से गीला और सूखा नारंगी के छिलके , अम्बाडी , चुकंदर ,सिंदूर और पारिजात के फूलों से प्राकृतिक रंग तैयार करना सिखाया।
होली के संदर्भ में वैद्य शैफाली ने जानकारी दी ” रासायनिक रंगों से त्वचा की एलर्जी होती है, आंखों और गले के लिए हानिकारक हैं उनके प्लास्टिक पैकेट से बहुत प्रदूषण होता है । भारती बत्रा ने बताया ” प्राकृतिक रंग से खेलें । होली प्रेम,आनंद और समानता का उत्सव है ।”
अरुणाभ के संस्थापक आशीष कट्टी ने जनक दीदी को साधुवाद देते हुए कहा” सभी बच्चों और शिक्षकों को बहुत अच्छा लगा । जनक दीदी प्रकृति व् समाज की अद्भुत ,निस्वार्थ ,कर्मठ, अनन्य व् सकारात्मक उर्जा का संचार करती है । सनावदिया में 2012 और 2019 में भी अरुणाभ संस्था के बच्चों ने विजिट किया था । जनक दीदी से इन्स्पायर होकर बच्चों ने वोकेशनल ट्रेनिंग के तहत एक ऑर्गेनिक शॉप खोली है ,जिसे यही बच्चे चला रहे हैं। बहुत प्रेरणात्मक, सुखद और आनंददायक अनुभव है । होली के प्राकृतिक कलर बनाना सीखा । अब अरुणाभ में जाकर बच्चे होली के प्राकृतिक रंग बनायेंगे और होली खेलेंगे और अपने परिवार व सभी की होली प्राकृतिक रंगों से खुशनुमा बना देंगे।”
