जयपुर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने बुधवार को गांधी नगर थाने में तैनात महिला उप निरीक्षक (SI) को 1.25 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। आरोपी SI राजकुमारी जुनेजा पर आरोप है कि वह धोखाधड़ी के एक मामले में कार्रवाई रोकने और एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगाने के बदले शिकायतकर्ता से 2 लाख रुपए की मांग कर रही थी। एसीबी ने शिकायत की पुष्टि के बाद सावधानीपूर्वक जाल बिछाया और बुधवार दोपहर कार्रवाई को अंजाम दिया।
इस कार्रवाई के बाद एसीबी की टीम ने आरोपी महिला SI से पूछताछ शुरू कर दी है और उनके प्रतापनगर स्थित घर पर भी तलाशी की जा रही है।
एसीबी डीजी गोविंद गुप्ता के अनुसार, करीब 10 दिन पहले एसीबी चौकी जयपुर नगर तृतीय को इस संबंध में शिकायत मिली थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि वर्ष 2024 में गांधी नगर थाने में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी और उसे मामले में राहत दिलाने के बदले रिश्वत मांगी जा रही थी।
शिकायतकर्ता का आरोप था कि केस में एफआर लगाने और आगे किसी तरह की कानूनी कार्रवाई न करने का आश्वासन देकर महिला SI द्वारा लगातार पैसे की मांग की जा रही थी। मामला गंभीर था, इसलिए एसीबी ने तत्काल सत्यापन प्रक्रिया शुरू की।
डीआईजी द्वितीय (एसीबी जयपुर) आनंद शर्मा ने बताया कि सत्यापन के दौरान भी SI राजकुमारी ने 2 लाख रुपए की राशि की मांग दोहराई। कई बार हुई बातचीत के बाद दोनों पक्षों के बीच 1.25 लाख रुपए लेने पर सहमति बनी। यह सहमति ही ACB के लिए कार्रवाई का आधार बनी।
सत्यापन पुख्ता होने के बाद एसीबी ने ट्रैप टीम गठित की और बुधवार को योजना को अंतिम रूप दिया। परिवादी को तय राशि लेकर गांधी नगर थाने भेजा गया, जहां SI राजकुमारी अपने रूम में बैठी थी।
शाम लगभग 3:30 बजे परिवादी ने निर्धारित राशि SI राजकुमारी को सौंपी। जैसे ही उसने नोट स्वीकार किए और उन्हें संभाला, एसीबी टीम ने तुरंत कमरे में प्रवेश कर लिया। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने रंगे हाथ गिरफ्तारी की प्रक्रिया पूरी की और 1.25 लाख रुपए बरामद किए।
राजकुमारी जुनेजा मूल रूप से बृजपुरी, प्रतापनगर की रहने वाली है। एसीबी अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी SI से कई जानकारियाँ मिली हैं, जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है। घर पर की जा रही तलाशी में भी महत्वपूर्ण दस्तावेज और अन्य सामग्री मिलने की संभावना जताई जा रही है।
इस कार्रवाई के बाद पुलिस विभाग पर एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठने लगे हैं। खास बात यह है कि रिश्वत का सौदा किसी मध्यस्थ के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे थाने में बैठकर किया जा रहा था। यह तथ्य न केवल गंभीर लापरवाही दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि रिश्वत का दबाव शिकायतकर्ता पर लंबे समय से बनाया जा रहा था।
एसीबी अधिकारियों का कहना है कि आगे की जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या एसआई अकेले यह रिश्वत ले रही थी या इसमें किसी और की भूमिका भी हो सकती है। एफआर लगाने जैसे महत्वपूर्ण पुलिस कार्य में रिश्वत लेने का मामला विभाग की प्रक्रियाओं और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करता है।
ACB आरोपी SI को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करेगी। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज होगा। एसीबी टीम द्वारा उससे पूछताछ जारी है और उसके बैंक विवरण, संपत्ति और पुराने मामलों की भी जांच की जाएगी।
फिलहाल, एसीबी अधिकारी यह भी जांच रहे हैं कि क्या उसने अन्य केसों में भी इसी तरह की अवैध मांगें की थीं।






