Jaipur News : राजधानी में अब एक ही नगर निगम होगा. छह साल पहले ग्रेटर और हेरिटेज के रूप में किए गए विभाजन के प्रयोग को राज्य सरकार ने खत्म कर दिया है. सरकार ने 150 वार्डों की अधिसूचना जारी कर दी है. साथ ही पहली बार जयपुर नगर निगम की सीमा का विस्तार किया गया है. इस बदलाव का असर केवल नक्शे या वार्ड लिस्ट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले महीनों में राजधानी की सियासत, प्रशासनिक ढांचे और आम नागरिकों के रोज़मर्रा के जीवन तक गहराई से महसूस किया जाएगा.
नया निगम, नया परिदृश्य
छह साल का बंटवारा अब खत्म हो चुका है. जयपुर फिर एक नक्शे पर लौट आया है. शहर में एक ही नगर निगम होने के फैसले के साथ ही परिदृश्य में आमूलचूल परिवर्तन की शुरुआत हो गई है. इसका असर शहर, शहरवासियों, सियासत, सत्ता और सिस्टम सभी पर पड़ेगा. 150 वार्डों के साथ होने वाले आगामी निगम चुनाव में सियासी समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे. मौजूदा व्यवस्था के मुकाबले अब निगम का खाका छोटा होगा। अफसरों से लेकर स्टाफ तक की संख्या घटेगी. जबकि वार्डों का दायरा और जनसंख्या दोनों बढ़ जाएंगे. इससे जनप्रतिनिधियों की पावर और जिम्मेदारी दोनों में इजाफा होगा. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ‘बेहतर स्थानीय शासन’ की सोच के साथ 2020 में जयपुर को दो हिस्सों हेरिटेज और ग्रेटर में बांटा था. उद्देश्य था जनता के काम की सहूलियत और जवाबदेही. लेकिन सीमाओं के विवाद, विभागीय टकराव और विकास कार्यों के असमान बंटवारे ने व्यवस्था को उलझा दिया. अब फिर से “वन सिटी, वन कॉर्पोरेशन” मॉडल लागू हुआ है.
150 वार्डों वाला नया अब एक निगम, घटेंगे पद, बढ़ेगी जवाबदेही
तीन दशक बाद जयपुर नगर सीमा का विस्तार किया गया है. इससे प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों ही स्तरों पर बड़ा बदलाव दिखेगा. मौजूदा बोर्ड की तुलना में 100 पार्षद कम हो जाएंगे। चेयरमैन की संख्या घटेगी और कई अधिकारी पद भी समाप्त होंगे. वहीं मेयर और पार्षदों की जिम्मेदारी और राजनीतिक कद दोनों बढ़ेंगे. सरकार दो अतिरिक्त आयुक्त लगाने पर विचार कर रही है. एक सीनियर IAS निगम आयुक्त और दो जूनियर IAS अतिरिक्त आयुक्त के रूप में नियुक्त हो सकते हैं.
अब एक बजट, एक एजेंसी, एक जवाबदेही
दो निगमों के समय शहर हेरिटेज और ग्रेटर के बीच बंट गया था. कहीं सफाई का बजट ज़्यादा, तो कहीं सीवरेज का टेंडर अटका हुआ. अब एक ही निगम होने से सभी योजनाओं के लिए एक बजट, एक एजेंसी और एक जवाबदेही होगी. केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ सभी वार्डों तक समान रूप से पहुंचेगा. जो क्षेत्र अब तक “उपेक्षित” कहलाते थे, वहां विकास की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है। दो निगमों के दौर में प्रशासनिक खर्चे और वाहनों, दफ्तरों, चेयरमैन की संख्या से व्यय दोगुना हो गया था. अब एकीकृत निगम में यह खर्च घटेगा.
सियासी असर: मेयर का क्षेत्र अब सांसद से भी बड़ा
एकीकृत नगर निगम अब जयपुर संसदीय क्षेत्र से भी बड़ा होगा. निगम सीमा में अब झोटवाड़ा और आमेर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा भी शामिल किया गया है.. राज्य सरकार जल्द ही मेयर के वर्ग (आरक्षण) का निर्धारण लॉटरी से करेगी, जिसके बाद वार्ड आरक्षण प्रक्रिया शुरू होगी..फिलहाल ग्रेटर और हेरिटेज में 56 चेयरमैन हैं। अब संख्या घटने से करोड़ों रुपये की बचत होगी.. नए बोर्ड में कुल 28 समितियां काम करेंगी.
जनप्रतिनिधित्व घटेगा, लेकिन बजट बढ़ेगा.
अभी 250 पार्षद हैं, जिनकी संख्या अब 150 होगी. यानि जनता का सीधा प्रतिनिधित्व घट जाएगा. हालांकि, बड़े वार्ड और बढ़ी जनसंख्या के कारण विकास कार्यों के लिए बजट भी बढ़ेगा. निगम के लिए राजस्व जुटाना अब सबसे बड़ी चुनौती रहेगा.