जयपुर के आराध्य गोविंद देवजी मंदिर में आयोजित फागोत्सव ने ब्रज की होली का अद्भुत और जीवंत चित्रण प्रस्तुत किया। इस दो दिवसीय आयोजन में वृंदावन, मथुरा और बरसाने की होली को अनूठे अंदाज में दर्शाया गया। करीब 40 कलाकारों ने चार घंटे तक नृत्य, संगीत और भजन प्रस्तुत किए, जिसने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
कार्यक्रम के लिए मंदिर के सत्संग भवन को फूलों और सतरंगी चुनरियों से सजाया गया, जिससे पूरे वातावरण में रंग और उल्लास का संचार हुआ। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने कोलकाता से आए बाल व्यास श्रीकांत शर्मा का स्वागत तिलक, साफा और दुपट्टा पहनाकर किया।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना और होली के प्रसिद्ध भजन “होली खेले गोविंद के दासा” से हुई। श्रीकांत शर्मा के भजनों ने पूरे माहौल को भक्तिमय कर दिया। “मैं ओढ़ चुनरी सत्संग की, भजनां को घाघरो” जैसे भजनों ने श्रद्धालुओं के दिलों में विशेष स्थान बना लिया।
राधा-कृष्ण स्वरूपों पर नृत्य प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। नेहा द्वारा प्रस्तुत “मोहे वृंदावन को फाग दिखा दे” पर भावपूर्ण नृत्य ने दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के दौरान पुष्प वर्षा भी की गई, जिससे भक्तिमय वातावरण और भी रमणीय हो गया।
रेखा सैनी द्वारा प्रस्तुत “कान्हा थाने सारी दुनिया बतावे चोर” पर नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा। विदेशी श्रद्धालु और बच्चों ने भी इस फागोत्सव का आनंद लिया, जिससे यह उत्सव और भी जीवंत हो गया।
जयपुर के युवा कलाकार विराट और उनके साथी कलाकारों ने कृष्ण और ग्वालों के रूप में प्रस्तुतियां दीं, जो पूरी तरह से उत्साह और उमंग से भरी हुई थीं। शेखावाटी के कलाकारों ने पारंपरिक ढप-चंग पर धमाल गाकर श्रद्धालुओं को नाचने पर मजबूर कर दिया।
बाल व्यास श्रीकांत शर्मा पिछले 24 वर्षों से पुष्प फाग में भजनों की प्रस्तुति दे रहे हैं। अब तक वे 1500 से अधिक भजन गा चुके हैं, जिनमें अधिकांश राजस्थानी भाषा में हैं। उनके भजनों का संग्रह बालकृष्ण बालासरिया के पास उपलब्ध है, जिसमें लगभग 3000 भजन शामिल हैं। शर्मा ने इस आयोजन के महत्व को बताते हुए कहा कि जगत के साधनों से सुख मिलता है, लेकिन भगवान के भजनों से असली आनंद मिलता है।
