जयपुर: जयपुर शहर कांग्रेस में पिछले दो साल से आपसी खींचतान और सिर फुटव्वल चल रही है। दो साल पहले कांग्रेस के महापौर अपनी ही पार्टी की महापौर के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे। उन दिनों यह आरोप लगे थे कि महापौर अपनी पार्टी के पार्षदों की भी सुनवाई नहीं करती हैं तो कार्यकर्ताओं का क्या हाल हो रहा होगा। दरअसल निलंबित महापौर मुनेश गुर्जर और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बीच तलवारें खींच गई थी। मुनेश गुर्जर ने उन दिनों यह भी कहा था कि कांग्रेस के कुछ पार्षद जो नाटक कर रहे हैं, वे प्रताप सिंह खाचरियावास के इशारे पर कर रहे हैं। रिश्वत प्रकरण में मुनेश गुर्जर तीसरी बार महापौर पद से सस्पेंड हो चुकी हैं। शनिवार को वे कोर्ट में पेश हुईं। 5 घंटे तक न्यायिक हिरासत में रहने के बाद उन्हें जमानत मिल गई। जमानत मिलने के बाद वे पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के खिलाफ जमकर भड़की।
Hrithik Roshan: कपल ने मनाई एनिवर्सरी…….’क्या ऋतिक रोशन और सबा आजान की हो गई शादी….
राजनैतिक द्वेषता के चलते फंसाया: मुनेश गुर्जर
एसीबी कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुनेश गुर्जर ने कहा कि रिश्वत प्रकरण में उनका कोई लेना देना नहीं है। ना तो उन्होंने किसी से रिश्वत की मांग की और ना ही एसीबी ने उनसे कुछ बरामद किया। डिमांड और रिकवरी नहीं होने के बावजूद एसीबी ने उनका नाम इस केस में घसीट दिया। मुनेश ने कहा कि यह सब पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास के दबाव में एसीबी ने किया है। उन्हीं के इशारे पर कांग्रेस के पार्षद उनके खिलाफ धरने पर बैठे थे। यह एक राजनैतिक षड्यंत्र था, जो विधायक खाचरियावास के इशारे पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे, उनमें से 8 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इससे साफ जाहिर होता है कि यह सब राजनैतिक हथकंडा है।
जनता ने दिया खाचरियावास को जवाब: मुनेश
एसीबी कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुनेश ने मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रताप सिंह खाचरियावास ने जो षड़यंत्र रचा था, उसका जवाब उन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिल गया। जनता ने उन्हें विधानसभा चुनाव में भी आइना दिखा दिया और बाद में लोकसभा चुनाव में जमानत जब्त करा दी। आगे भी जनता उनके कर्मों की सजा उन्हें देती रहेगी।