अमेरिका और तुर्की काकेशस क्षेत्र में लंबे समय से एक ट्रेड कॉरिडोर बनाना चाहते हैं. जिसके जरिए वह ईरान को बाईपास कर सकते हैं. वेलायती ने शांति समझौते में शामिल परिवहन गलियारे का ज़िक्र करते हुए कहा, “यह मार्ग ट्रंप के भाड़े के सैनिकों के लिए प्रवेश द्वार नहीं बनेगा, यह उनका कब्रिस्तान बन जाएगा.” उन्होंने इस योजना को आर्मेनिया की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के मकसद से एक “राजनीतिक विश्वासघात” बताया है.
समझौते में शामिल कॉरिडोर
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में हुए अजरबैजान और आर्मेनिया समझौते की शर्तों में आर्मेनिया से होकर गुजरने वाले एक मार्ग के लिए खास अमेरिकी विकास अधिकार शामिल हैं जो अजरबैजान को नखचिवन से जोड़ेगा, जो एक अजरबैजानी परिक्षेत्र है और बाकू के सहयोगी तुर्किये की सीमा से लगा हुआ है. यह स्वायत्त गणराज्य ट्रांस-काकेशियन पठार पर स्थित है. नखचिवन चारों तरफ से अर्मेनिया, ईरान और तुर्की के बीच फंसा है.
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ईरान क्यों है खिलाफ?
ईरान ट्रांस-काकेशियन में प्रस्तावित ज़ंगेज़ुर कॉरिडोर के खिलाफ इसलिए हैं, क्योंकि यह उसके ह उसकी भू-राजनीतिक, रणनीतिक, और आर्थिक हितों के लिए खतरा पैदा करता है. इसके बनने से उसका सीध आर्मेनिया से संपर्क टूट सकता है, जो उसका महत्वपूर्ण सहयोगी है. यह ईरान की क्षेत्रीय पहुंच को कमजोर करेगा. साथ ही हाल के समय में अजरबैजान और नखचिवान के बीच व्यापार और आवागमन के लिए ईरान का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण मार्ग है. कॉरिडोर बनने से यह रास्ता बाईपास हो जाएगा, जिससे ईरान का दक्षिणी काकेशस में रणनीतिक और आर्थिक प्रभाव कम हो जाएगा.
ईरान को डर ये भी है कि यह कॉरिडोर अमेरिका और नाटो की सैन्य मौजूदगी को उसकी उत्तरी सीमाओं तक बढ़ा सकता है, जिसे वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है. ईरान के सुप्रीम लीडर के सलाहकार अली अकबर वेलायती ने इसे ‘भू-राजनीतिक साजिश’ करार देते हुए किसी भी हाल में रोकने को कहा है.
