मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में 1 सितंबर से स्कूलों और कॉलेजों में आत्मरक्षा प्रशिक्षण उपलब्ध होगा। सीसीटीवी कैमरे स्टाफ सत्यापन और आपातकालीन हेल्पलाइन अनिवार्य होंगी। इसके साथ ही लड़कियों की सुरक्षा पर चर्चा के लिए नियमित रूप से महिला अभिभावक समिति की बैठकें होंगी। बदलापुर हिंसा के बाद शिंदे सरकार ने महिला सुरक्षा में हो रही लापरवाही को लेकर कई कड़े कदम उठाए हैं।
बदलापुर कांड के बाद शिंदे सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं। मुंबई उपनगरीय जिले के कैबिनेट और गार्जियन मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने मुंबई उपनगरीय के जिला कलेक्टर को महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।
गार्जियन मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने एक पत्र जारी करते हुए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए मुंबई उपनगरीय क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
किंडरगार्टन से लेकर स्नातकोत्तर स्तर को मिले सख्त निर्देश
लोढ़ा ने कहा कि 1 सितंबर से राज्य भर के सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और मुंबई उपनगरीय क्षेत्र के स्कूलों/कॉलेजों में युवतियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाएगा। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में किंडरगार्टन से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक की सभी शैक्षणिक संस्थाओं को सख्त निर्देश दिए जाने चाहिए।
नियुक्त कर्मचारियों का पूरी तरह से हो वेरिफिकेशन
सुरक्षा को लेकर स्कूलों, कॉलेजों और विभिन्न संस्थाओं को भी अपने यहां नियुक्त कर्मचारियों का पूरी तरह से सत्यापन करने का भी निर्देश दिया गया। लोढ़ा ने आगे कहा कि यह सभी निर्देश इसलिए दिया गया ताकि कोई अप्रिय घटना न हो और सभी को सावधानी बरतनी चाहिए!
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध चिंता का विषय
मंत्री लोढ़ा ने अपने पत्र में कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध सरकार, प्रशासन और हमारे समाज के लिए चिंता का विषय हैं। बदलापुर में हुई घटना ने रोकथाम के उपायों के लिए जनता के सुझाव दिए हैं। महिला सुरक्षा को लेकर लापरवाही के कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
‘पूरा स्कूल परिसर सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हो’
मंत्री लोढ़ा ने अपने पत्र में निर्देश दिया कि, “शौचालयों को छोड़कर पूरे स्कूल परिसर को सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में लाया जाना चाहिए। कैमरे लगाए जाने चाहिए तथा उनकी सुरक्षा और उचित कार्यप्रणाली की नियमित रूप से बीट मार्शलों या गश्त करने वाली पुलिस टीमों द्वारा जांच की जानी चाहिए। लड़कियों के शौचालयों के बाहर निगरानी के लिए एक महिला कर्मचारी को स्थायी रूप से नियुक्त किया जाना चाहिए।
शौचालयों की सफाई की जिम्मेदारी किसी महिला सफाई को दी जाए
यह सख्ती से लागू किया जाना चाहिए कि कम उम्र की लड़कियों और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए बने शौचालयों की सफाई की जिम्मेदारी महिला सफाई कर्मचारियों की हो। छात्रों के परिवहन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बसों, टैक्सियों और वैन में एक महिला कर्मचारी की मौजूदगी अनिवार्य होनी चाहिए। स्कूलों में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन कराया जाना चाहिए।