नई दिल्ली, 9 अगस्त 2025: भारतीय रेलवे द्वारा 1 अगस्त 2025 को जारी एक आदेश, जिसमें विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त) को मनाए जाने की घोषणा को रद्द किया गया, ने देशभर के आदिवासी समुदाय और रेलवे में कार्यरत आदिवासी कर्मचारियों में तीव्र असंतोष और आक्रोश पैदा कर दिया है। इस निर्णय को आदिवासी समाज के साथ “मजाक” और उनकी भावनाओं को “गहरा आघात” पहुंचाने वाला करार दिया जा रहा है। आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाने और उक्त आदेश को वापस लेने की मांग की है ताकि रेलवे में कार्यरत आदिवासी कर्मचारियों की भावनाओं का सम्मान किया जा सके।
मामले का विवरण
विश्व आदिवासी दिवस, जिसे हर साल 9 अगस्त को विश्वभर में आदिवासी समुदायों की संस्कृति, अधिकारों और योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, भारतीय रेलवे में भी आधिकारिक तौर पर आयोजित किया जाता रहा है। रेलवे में कार्यरत हजारों आदिवासी कर्मचारियों के लिए यह दिन उनकी पहचान और गौरव का प्रतीक है। हालांकि, 1 अगस्त 2025 को जारी एक आदेश में रेल मंत्रालय ने इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस के आयोजन को रद्द करने का निर्णय लिया, जिसके कारणों का अभी तक स्पष्ट खुलासा नहीं किया गया है।
आदिवासी समाज और रेलवे कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले को अपमानजनक बताया है। उनके अनुसार, यह निर्णय न केवल आदिवासी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि उनके अधिकारों और सम्मान को भी कमतर करता है। कई संगठनों ने इसे सरकार की आदिवासी-विरोधी नीतियों का हिस्सा करार दिया है।
आदिवासी समाज का रुख
आदिवासी समाज (भारत) के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एक बयान में, संगठन ने कहा, “भारतीय रेलवे का यह निर्णय आदिवासी समुदाय के लिए एक गहरा आघात है। विश्व आदिवासी दिवस हमारे लिए केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, इतिहास और संघर्षों का उत्सव है। इसे रद्द करना हमारे साथ मजाक करने के समान है। हम मांग करते हैं कि 1 अगस्त 2025 का यह आदेश तत्काल वापस लिया जाए और रेलवे में विश्व आदिवासी दिवस को पूरे सम्मान के साथ मनाया जाए।”
आदिवासी संगठनों ने पूरे देश में इस मुद्दे को उठाने का आह्वान किया है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को संसद और रेल मंत्रालय तक ले जाने की योजना बनाई है। सोशल मीडिया पर भी #RestoreIndigenousDay और #AdivasiSaman जैसे हैशटैग के साथ इस मुद्दे को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है।
रेलवे कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
रेलवे में कार्यरत आदिवासी कर्मचारियों ने इस निर्णय को अपनी भावनाओं पर हमला बताया है। एक रेलवे कर्मचारी, जो अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहते, ने कहा, “हम रेलवे के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। विश्व आदिवासी दिवस हमारे लिए गर्व का अवसर होता है, जब हम अपनी संस्कृति को सहकर्मियों के साथ साझा करते हैं। इस दिन को रद्द करना हमारे योगदान को नजरअंदाज करने जैसा है।”
कई कर्मचारी यूनियनों ने भी इस फैसले का विरोध किया है और रेल मंत्रालय से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है। कुछ यूनियनों ने इस मुद्दे पर रेलवे प्रशासन के साथ बातचीत शुरू करने की बात कही है।
विवाद के संभावित कारण
हालांकि रेल मंत्रालय ने विश्व आदिवासी दिवस को रद्द करने के कारणों का आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं किया है, लेकिन कुछ सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय प्रशासनिक या बजटीय कारणों से लिया गया हो सकता है। कुछ का मानना है कि यह रेलवे की ओर से लागत में कटौती या आयोजनों को सीमित करने की नीति का हिस्सा हो सकता है। हालांकि, इस तरह के कयासों ने आदिवासी समुदाय के बीच और अधिक नाराजगी पैदा की है, क्योंकि इसे उनकी पहचान को कमतर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
मांगें और अगले कदम
आदिवासी समाज और रेलवे कर्मचारी संगठनों ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
1. 1 अगस्त 2025 के आदेश को तत्काल रद्द किया जाए।
2. भारतीय रेलवे में विश्व आदिवासी दिवस को पूरे सम्मान के साथ मनाने के लिए नए सिरे से आदेश जारी किया जाए।
3. रेल मंत्रालय आदिवासी कर्मचारियों और समुदायों से इस मुद्दे पर खुली चर्चा करे और उनकी भावनाओं का सम्मान करे।
संगठनों ने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन, धरना और सोशल मीडिया अभियान चलाने की योजना बनाई है ताकि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जा सके। कुछ संगठनों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है।
सरकार और रेल मंत्रालय की ओर से प्रतिक्रिया
अभी तक रेल मंत्रालय की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है और जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। आदिवासी संगठनों को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देगी और विश्व आदिवासी दिवस को फिर से रेलवे के आयोजनों में शामिल करेगी।
