Indian Railway Big Update: रेलवे ने एडवांस टिकट बुकिंग की अवधि को 120 दिनों से घटाकर फिर 60 दिनों पर ला दिया है. यह नया फैसला 1 नवंबर 2024 से लागू होगा. रेल मंत्रालय ने 25 मार्च 2015 को बुकिंग की अवधि 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन कर दी थी. उस समय तर्क यह दिया गया था कि अवधि आगे बढ़ाने से दलाल हतोत्साहित होंगे, क्योंकि इसमें ज्यादा कैंसिलेशन चार्ज देना होगा. लेकिन अब एक बार फिर बात घूम-फिर कर वहीं आ गई है. यह अवश्य है कि इस फैसले से आईआरसीटीसी की ब्याज और कैंसिलेशन से कमाई अब कम हो जाएगी और उसी अनुपात में लोगों की जेब कम हल्की होगी. इससे पहले रिजर्वेशन की अवधि 45 दिन और 90 दिन भी रही है. विश्लेषण के बाद रेलवे ने तय किया कि यात्रियों की सुविधा के लिहाज से अधिकतम 60 दिन की रिजर्वेशन अवधि सर्वोत्तम हो सकती है.
रेलवे का कहना है कि ज्यादा कैंसिलेशन और सीटों की बर्बादी को देखते हुए यह फैसला लिया है, क्योंकि 120 दिन का एडवांस रिजर्वेशन पीरियड बहुत लंबा हो जाता था. इस अवधि में कराए गए करीब 21 फीसदी टिकट निरस्त करवाए जाते हैं, जबकि 4 से 5 फीसदी लोग न तो यात्रा करते हैं और न टिकट कैंसल करवाते हैं, जिससे जरूरतमंदों को परेशानी होती है.
रेलवे के मुताबिक सिर्फ 13 प्रतिशत लोग ही चार महीने पहले ट्रेन का टिकट एडवांस में बुक करते थे और ज्यादातर टिकटों की बुकिंग यात्रा के 45 दिनों के अंदर होती थी. दरअसल इस बात पर विचार ही नहीं किया जा रहा कि लोगों को चार महीने पहले टिकट करवाने की जरूरत क्यों पड़नी चाहिए?
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निश्चित रूप से चार माह की अवधि में कई ऐसी तात्कालिक समस्याएं आ सकती हैं, जिससे किसी को पहले से की गई बुकिंग कैंसिल करने पर मजबूर होना पड़े. चूंकि कन्फर्म टिकट कोई चाहे दो-तीन माह पहले कैंसिल कराए या ट्रेन छूटने के 48 घंटे से थोड़ा पहले, पैसा उतना ही कटता था, तो जाहिर है कि लोग दो-तीन दिन पहले ही टिकट कैंसल कराने को प्राथमिकता देते थे.
इसलिए अगर यात्रा तिथि के एक हफ्ते या 15 दिन पहले बुकिंग कैंसिल कराने पर शुल्क कुछ कम कर दिया जाए तो लोग अनावश्यक रूप से कैंसिलेशन के लिए यात्रा तिथि के नजदीक आने का इंतजार न करें. इसके अलावा बहुत पहले से बुकिंग कराने के पीछे लोगों का यह डर होता है कि पता नहीं ऐन वक्त पर कन्फर्म सीट मिल पाए या नहीं!
इसलिए यात्रा एकदम सुनिश्चित नहीं होने पर भी वे बुकिंग करवा लेते हैं. पिछले दिनों खबर आई थी कि रेलवे की वेटिंग लिस्ट को खत्म करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे ट्रेनों में अगले पांच से छह वर्षों के भीतर वेटिंग लिस्ट की लंबे समय से चली आ रही समस्या दूर हो जाएगी और हर यात्री को कन्फर्म बर्थ मिलना सुनिश्चित किया जा सकेगा.
ऐसा हो जाए तो एडवांस टिकट बुकिंग की अवधि 60 दिन रखने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. एआई के वर्तमान अत्याधुनिक जमाने में टिकट बुकिंग के पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों के जरिये रेलवे बहुत आसानी से यह पता लगा सकती है कि वर्ष के किन महीनों में किस ट्रेन में कितनी भीड़ रहती है. इसलिए वेटिंग लिस्ट की समस्या तो तत्काल खत्म करने में भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.
हां, रेलवे के पास बोगियों की उपलब्धता न हो या रूट बिजी होने की समस्या हो तो अलग बात है. दरअसल वास्तविक सवाल यह है ही नहीं कि एडवांस टिकट बुकिंग की अवधि चार महीने रखी जाए या दो महीने. असली सवाल तो यह है कि रेलवे के पास वेटिंग लिस्ट खत्म करने की व्यवस्था कितनी है?
हाल ही में खबर आई थी कि कोहरे की आशंका के मद्देनजर रेलवे ने दिसंबर से जनवरी माह तक कई ट्रेनों का परिचालन रद्द या आंशिक रूप से रद्द कर दिया है. पिछले कई महीनों से कई ट्रेनों में लेट होने का मानो रिकार्ड तोड़ने में होड़ लगी है. कारण जो भी हो, लेकिन देश के आम नागरिकों के यातायात इस प्रमुख साधन के साथ ऐसा खिलवाड़ कर क्या रेल सेवा को मजाक जैसा नहीं बनाया जा रहा है.