अमेरिकी टैरिफ की पोल इस तरह से खुल जाएगी, किसी को भी नहीं पता था. लेकिन भारत ने अमेरिका को उसकी औकात सही मायनों में दिखा दी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, निर्यात और आयात गतिविधियों में बदलाव के कारण भारत का व्यापारिक व्यापार घाटा जून में घटकर 18.78 अरब डॉलर रह गया, जो मई में 21.88 अरब डॉलर था.
व्यापार घाटा कम होने से इकोनॉमी को फायदा होता है. भारत की इकोनॉमी पर दबाव कम पड़ता है, साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी भी देखने को मिलती है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार की ओर से जून के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के आंकड़े किस तरह के सामने रखे हैं.
कैसा रहा भारत का एक्सपोर्ट और इंपोर्ट?
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार भारत का व्यापारिक निर्यात जून में घटकर 35.14 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले महीने यह 38.73 अरब डॉलर था. वहीं दूसरी ओर इंपोर्ट घटकर 53.92 अरब डॉलर रह गया, जो मई में 60.61 अरब डॉलर था. पूर्ण रूप से, भारत ने जून 2024 में 35.20 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया था, जबकि आयात कुल 56.18 अरब डॉलर रहा, जिससे 21 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ. पिछले महीने व्यापारिक वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 67.98 अरब डॉलर रहा, जबकि वस्तुओं और सेवाओं का आयात 71.50 अरब डॉलर रहा. जून में शुद्ध व्यापार घाटा 3.51 अरब डॉलर रहा.
यह साल ग्लोबल ट्रेड टेंशन से प्रभावित रहा है. भारत के निर्यातकों को अमेरिकी टैरिफ, भारत-पाकिस्तान संघर्ष और जून में ईरान पर इजराइल के हमले की संभावनाओं से जूझना पड़ा है. इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष ने होर्मुज स्ट्रेट से होकर शिपिंग को बाधित कर दिया, जो भारत के ऊर्जा और कंटेनर व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है, जिससे सप्लाई चेन पर दबाव देखने को मिला है.
अमेरिकी टैरिफ से बढ़ी अनिश्चितता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित टैरिफ उपायों ने व्यापार अनिश्चितता को और गहरा कर दिया है, जिससे लागत बढ़ गई है और कोर सेक्टर्स में भारतीय निर्यातकों की मार्केट रीच सीमित हो गई है. वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने पिछले महीने संवाददाताओं को बताया कि वैश्विक संघर्ष और अनिश्चितताएं भारतीय निर्यात को प्रभावित कर रही हैं, हालांकि सरकार शिपिंग और बीमा से संबंधित निर्यातकों की चिंताओं को दूर करने के लिए उनके साथ सक्रिय रूप से काम कर रही है.
भारत, मार्केट रीच बढ़ाने, टैरिफ में कटौती करने और टेक एवं रिन्युएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को तेज कर रहा है. भारत और अमेरिका वर्तमान में एक व्यापार समझौते पर बातचीत के अंतिम चरण में हैं जो भारतीय निर्यात पर हाई अमेरिकी टैरिफ को रोकने में मदद कर सकता है. इन शुल्कों को प्रभावी होने से रोकने के लिए 1 अगस्त तक समझौते पर हस्ताक्षर होना आवश्यक है. हालांकि, डेयरी और कृषि जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र भारत के लिए अभी भी अड़चन बने हुए हैं.
