बढ़ती बेरोजगारी दमन के लिए प्रदेश में एक ऊर्जावान आशावान औधोगिकवातावरण निर्मित करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा दिलीख्वाहिश पूरा करने की दिशा में दृढ़ संकल्पित नजर आ रहे है। मुख्यमंत्रीभजनलाल शर्मा के राइजिंग राजस्थान अथवा उदयमान राजस्थान कीअवधारणा यशस्वी प्रधानमंत्री के नक्ष्य कदम, आत्मनिर्भर भारत, राजकीयनौकरियों के स्थान पर युवा उधमियों वर्तमान में स्थापित उधोगो व्यापारिकप्रतिष्ठानों का अभूतपूर्व गति का जो वातावरण निर्मित किया है। प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से जो रोजगार के अवसर निर्मित किए है वे अपनेआप में अनुकरणीय है। ये भी सही है की प्रदेश में रोजगार उपलब्ध कराने मेंवह अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाए है। लेकिन जिस प्रकार आमजनों के, युवा वर्ग के, औधोगिक घरानों में आत्मविश्वास में वृद्धि हो रही है।वह भी एक संतोष का विषय है, भारत के प्रति अन्य राष्ट्रों का औधोगिकनिवेश बढ़ाने का जो मानस बढ़ता जा रहा है। जिस प्रकार दुनिया के देशरूचि दिखा रहे है, उससे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूर दृष्टि सराहनीयहै। भारत के विदेश व्यापार में भारी वृद्धि हुई है ,यह हमारे देश की औधोगिकनीति, सुखद वातावरण अन्य देशो को आकर्षित करने के लिए अहम रहा है, जब हम राजस्थान की बात करें तो राजस्थान के व्यवसायी, उद्योगपति नकेवल अन्य राज्यों में बल्कि दूसरे राष्ट्रों में भी अपने व्यावसायिक कौशलताऔधोगिक प्रंबधन कसौटी पर सौ प्रतिशत खरा उतर रहे है। इन्हीं आशाओंऔर विश्वास से प्रोत्साहित होकर राजस्थान के युवा गंभीर शांत सरलस्वभाव के धनी भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री राजस्थान को आर्थिक दृष्टि सेएक विकसित राज्य बनाने के लिए कमर कसे हुए है।
विधानसभा में राजस्थान के वर्ष 2024 -25 के बजट में ही मुख्यमंत्रीभजलाल शर्मा ने राजस्थान को उधोग प्रधान प्रदेश बनाने के संकल्प कोव्यक्त किया। इस दिशा में उन्होंने राइजिंग राजस्थान के संकल्प को व्यक्तकिया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का मानना है की राजस्थान में वे सभीसंभावनाएं है जो इस राज्य को उधोग प्रधान राज्यों की कतार में अग्रणी स्तरसे खड़ा कर सकते है। यहां खनिज, जलापूर्ति प्रबंधन, मानव श्रम, कुशलयुवा, बहुत कुछ उपलब्ध है। राजस्थान से जो राजस्थान को अग्रणी उधमीराज्य का दर्जा दिला सकता है।
राइजिंग राजस्थान की कोरी कल्पना नहीं है। स्वयं मुख्यमंत्री अपने सहयोगीमंत्रीगणों के साथ विदेशो में जापान कोरिया में जाकर प्रदेश को वरिष्ठअधिकारियों को विदेश के निम्न राष्ट्रों में निवेश की संभावना तलाशने परलगाया है। आईएएस सर्वश्री सिद्धार्थ सिहाग युई, रोहित गुप्ता यूके, अजिताभ शर्मा यूएस, आरती डोगरा जर्मनी, रविकुमार सुरपुर दक्षिणअफ्रीका, दिनेश कुमार रूस, प्रकाश राजपुरोहित फ़्रांस, आशुतोष एटीबेल्जियम, नकाते शिवप्रसाद ब्राजील, रवि जैन आस्ट्रेलिया, कृष्ण कुणालनीदरलैंड, संदेशनायक स्विटरलैंड, जोगाराम कतर, राजनविशाल स्पेन, कृष्णकांत पाठक इटली, अर्चना सिंह फिनलैंड, नवीन जैन सऊदी अरब, टीरविकांत इजरायल, आरुषि डेनमार्क, आनंदी जापान, राजेश कुमार यादवहांगकांग, वैभव गैलरियां दक्षिण कोरिया तथा गायत्री राठौड़ सिंगापुर। इनअधिकारियों को इन राष्ट्रों से सवांद – चर्चा – संभावनाओं के तलाशने के लिएलगाना यह एक ठोस प्रयास की और इंगित करता है।
इतना ही नहीं हमारे देश के अनेक प्रांतो में विशिष्ट उधोगपति है। जो अपनेउधोगो के विस्तार के लिए जमीन तलाशते है। इन प्रांतो से वरिष्ठअधिकारियो को जिम्मा सौंपा है। जैसे आंध्रप्रदेश में टी. रविकांत, आसाम मेंनागिक्य गेहेन, बिहार में आलोक, झारखंड में कृष्ण कुणाल, गोआ मेंआशुतोष एटी पेडनेकर, हरियाणा में नवीन जैन, हिमाचल प्रदेश में अरविंदपोसवाल, जम्मूकश्मीर में कमर एल जमान, केरल में मोहम्मद जुनैद, मध्यप्रदेश में सौम्या झा, महाराष्ट्र में नकाते शिवप्रसाद, उड़ीसा में देवाशीष, पंजाब में राजनविशाल, तमिलनाडु वी सरवन कुमार, तेलगांना पी रमेश, उत्तराखंड आरती डोगरा, उत्तरप्रदेश अर्चना सिंह, पश्चिम बंगाल श्रेया गुहाउपरोक्तानुसार यही प्रतीत होता है की चाहे मंत्रिमंडलीय सदस्य हो या फिरराजकीय वरिष्ठ अधिकारी सभी इस लक्ष साधक की तरह इस औधोगिकनिवेश जुटाने सम्भावना के लिए युद्ध स्तर पर झोक दिए गए है। कुछ नहींबस, राजस्थान जो औधोगिक दृष्टि से बीमारू राज्य के रूप में मानने काचलन बना हुआ है उस को बाहर निकाला जाएं।
राजस्थान मे निवेश के लिए काफी उत्साहजनक वातावरण निर्मित हो रहा है।अनेको बाहरी राष्ट्रों/ राज्यों ने उत्साह दिखाया है रूचि प्रदर्शित की है। उन्होंनेअनेक आशंकाओं को दूर करने के मानस भी दर्शाया है। उन्होंने अपनेअनुकूल वाले उधोगों के बारे में प्रस्तावों पर विचार भी रखे है। यह सब एकदिन में नहीं होता है लेकिन एक दिन राजस्थान में अवश्य होगा। क्योंकिपरस्पर हितों की संभावनाएं अपने आप एक दूसरे के निकट ले आती है।आवश्यकता इस बात की है उन उधोगों को शांति चाहिए, श्रमिक उपलब्धता, बिजली पानी की आवश्यकता, बिजनेस रिटर्न ये सब आवश्यकता है जोकिसी अग्रणी उधोगों उधोगपति को चाहिए। सबसे बड़ी किसी भीआवश्यकता राज्य राष्ट्र में आगंतुक उधोगपतियों राष्ट्रो राज्यों को कैसावातावरण मिलता है। उन्हें उनके निवेश की रिटर्न किस प्रकार मिलती है।ऐसा ही सब शर्तों को राजस्थान सरकार उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है।
दृढ़ प्रतिज्ञय, राजस्थान सरकार ने भी कड़ा मानस बना लिया है की कठोरनिर्णयों के बगैर राजस्थान श्रम साध्य औधोगिक राज्य नहीं बन सकता। जबतक ऐसा नहीं होगा तब तक बीमारू राज्य के अभिशाप से मुक्ति नहीं मिलसकेगी। नाही बेरोजगारी पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। ऐसा कुछ है भी नहींकी राजस्थान प्रमुख औधोगिक प्रान्त नहीं बन सकता है। आवश्यकता दृढ़इच्छा शक्ति की, सिद्धि से संकल्प की और बढ़ने की लगता भी यही है कीमुख्यमंत्री राजस्थान को उधोग प्रधान प्रान्त बनाने के प्रति ”कर्मण्य वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन” की डगर पर बहुत आगे निकल चुके है।
राइजिंग राजस्थान के लिए मख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कितने गंभीर है कीउन्होंने निवर्तमान प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी, आईपीएस अधिकारी से भीसवांद स्थापित किया है और उनके अनुभवों का लाभ उठाने के लिए सचेष्ट हैइस सवांद में जिन सेवा निवृत अधिकारीगणों से सवांद किया उनमे प्रमुखरूप से चंद्रमोहन मीणा, रवि माथुर, पुरुषोत्तम अग्रवाल, ललित के पंवार, श्रीमत पांडे, श्याम एस अग्रवाल, दीपक उप्रेती, मुकेश शर्मा, संजय दीक्षित, राजेश्वर सिंह, डी बी गुप्ता, वीनू गुप्ता तथा अजित सिंह शामिल है।
”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी अक्सर कहते है कि यदि मुझे साधारण व्यक्ति सेभी देश की प्रगति के लिए अच्छे सुझाव मिलते है तो में उस पर विचार करताहुं। उसका लाभ उठाता हुं। इसी तर्ज पर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री भजनलालशर्मा राजस्थान कैसे अग्रणी बनें। इसके लिए वे साधारण कार्यकर्ता, जागरूक नेता, वर्तमान अधिकारीगण, निवर्तमान अधिकारी किसी से भी वेचर्चा सलाह संवाद करने में संकोच नहीं करते है। भजनलाल शर्मा की तो बसयही एक दृढ़ मान्यता है। कि प्रदेश में बढ़े निवेश बढ़े प्रदेश”।
विकास सोमानी (राज हाईकोर्ट – एड