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September 3, 2025 8:09 pm

टेक्नोलॉजी में होगा भारत नाम, चीनी कंपनियां हो रहीं बेताब……’ट्रंप टैरिफ की निकलेगी ‘हेकड़ी’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हालिया मुलाकात ने भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बड़ी उम्मीदों को जन्म दिया है. भारतीय और चीनी कंपनियों के बीच ज्वाइंट वेंचर और टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप को लेकर चर्चा तेज हो रही है. यह सब अमेरिका के टैरिफ दबाव और शंघाई समिट में हुई बैठक के साथ भारत-चीन राजनयिक संबंधों में सुधार की बदौलत संभव हो रहा है, क्योंकि ट्रंप टैरिफ से सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि ग्लोबल सप्लाई चेन पर दबाव है.

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ज्यादातर पार्टनरशिप इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट क्षेत्र में हो सकती हैं. भारतीय निर्माता तकनीक के लिए चीनी कंपनियों के साथ गठजोड़ की तलाश में हैं. उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) ने कंपनियों को इस कदम के लिए काफी हद तक प्रोत्साहित किया है.

कई कंपनियां तो कंपोनेंट उत्पादन के लिए सरकार की ओर से निर्धारित 22,919 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि के लिए तुरंत मंजूरी की मांग कर रही हैं. भारत में चीन की भागीदारी से प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB), डिस्प्ले मॉड्यूल, कैमरा सब-असेंबली और बैटरी जैसे महंगे उत्पादों क्षेत्रों में बड़े पैमाने का निर्माण करने में मदद मिलेगी.

ज्वाइंट वेंचर के प्रस्ताव

भारत की सबसे बड़ी कॉन्ट्रेक्ट इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर डिक्सन टेक्नोलॉजीज पुर्जों के उत्पादन के लिए चीन की चोंगकिंग युहाई प्रिसिजन मैन्युफैक्चरिंग के साथ कथित तौर पर ज्वॉइंट वेंचर शुरू कर सकती है. जानकारी के मुताबिक, डिक्सन की पहले से ही HKC और Vivo जैसी कंपनियों के बातचीत चल रही है. हाल ही में उसे लॉन्गचीयर के साथ एक ज्वाइंट वेंचर के लिए मंजूरी मिली है. कंपनी की ओर से डिस्प्ले मॉड्यूल, कैमरा मॉड्यूल और पुर्जों के लिए नए आवेदन भी प्रक्रिया में हैं.

ज्वाइंट वेंचर से क्या फायदा?

सरकार चाहती है कि कोई भी चीनी निवेश तकनीक के हस्तांतरण के साथ आए, क्योंकि चीन तकनीक के मामले में आगे है. नए ज्वाइंट वेंचर शुरू होने से भारतीय निर्माताओं को भी इसका लाभ होगा. चीन ग्लोबल सप्लाई चेन का बड़ा खिलाड़ी है और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का 60% से ज्यादा हिस्सा वहीं से आता है. चीन से जुड़े बिना भारत अपनी स्थानीय क्षमता नहीं बढ़ा सकता. उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) मानता है कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में चुनिंदा चीनी निवेश भारत की महत्वाकांक्षाओं के लिए जरूरी है.

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