EMI का बोझ कम करने और ब्याज के तौर पर लाखों रुपए बचाने के लिहाज से लोग Loan Refinancing का फैसला लेते हैं. लोन रीफाइनेंसिंग में कम ब्याज दर जैसी शर्तों वाला नया लोन लिया जाता है और पुराने लोन को क्लोज करा दिया जाता है. इसके बाद नए लोन का पुनर्भुगतान शुरू कर दिया जाता है. लोन रीफाइनेंसिंग वैसे तो फायदे की डील मालूम पड़ती है. लेकिन ये फैसला किसी की बातों में आकर न लें वरना आपका डिसीजन गलत भी साबित हो सकता है. अगर आप भी लोन रीफाइनेंसिंग करवाना चाहते हैं तो पहले खुद से उसकी वजह पूछें. यहां हम आपको वो 6 वजह बता रहे हैं लो लोन रीफाइनेंसिंग को फायदे का सौदा बना सकती हैं. अगर आपके पास इनमें से कोई वजह है तो समझ लीजिए आपका फैसला सही है.
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आपका बैंक ज्यादा ब्याज वसूल रहा हो
आपने जिस बैंक से लोन लिया है, उसकी ब्याज दरें काफी ज्यादा हैं और आपको दूसरे बैंक में कम ब्याज दरों का विकल्प मिल रहा है, तो इस स्थिति में आप लोन रीफाइनेंसिंग का ऑप्शन चुन सकते हैं.
फिक्स्ड रेट लोन से फ्लोटिंग रेट लोन में शिफ्ट होना हो
अगर आपने निश्चित ब्याज दरों पर लोन लिया है, लेकिन उसके बाद ब्याज दरें कम होने लगी हैं. आप फिक्स्ड रेट लोन से फ्लोटिंग रेट लोन का विकल्प अपनाना चाहते हैं. आपका मौजूदा लेंडर फ्लोटिंग लोन का विकल्प देने के लिए तैयार नहीं हैं तो आप किसी दूसरे लेंडर के पास अपना लोन रीफाइनेंस करवा सकते हैं.
आप लोन का टेन्योर कम करना चाहते हों
अगर आपने लोन लेते समय लंबी अवधि का चुनाव किया था, लेकिन अब आपकी फाइनेंशियल कंडीशन बेहतर है और आप लोन टेन्योर को कम करना चाहते हैं, तो लोन रीफाइनेंसिंग का विकल्प चुनकर ऐसा कर सकते हैं.
आप लोन का टेन्योर बढ़ाना चाहते हों
अगर आप मौजूदा किस्त देने में सक्षम नहीं हैं और किस्त को कम करने के लिए लोन टेन्योर को बढ़ाना चाहते हैं, तो भी इस विकल्प को चुन सकते हैं.
लेंडर अच्छी सेवाएं न दे रहा हो
अगर आपको लोन के डिस्बर्समेंट के बाद यह लगता है कि आपका लेंडर आपको अच्छी सेवाएं नहीं दे रहा है, या आपको अच्छी डील नहीं मिली है. इन स्थितियों में आप लेंडर बदलने की सोच सकते हैं.
आपको लोन के तौर पर और राशि की जरूरत हो
लोन लेने के बाद घर की डिजाइन या किसी अन्य कारण से आपको ज्यादा फंड की जरूरत हो तो आप लोन को रीफाइनेंस करवाने का फैसला ले सकते हैं. इसके जरिए आप पहले से बड़ा लोन ले सकते हैं.