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August 9, 2025 4:10 pm

ICMR ने बताया खाना बनाने का सही तरीका: ‘गलत तरीके से तो नहीं कर रहे कुकिंग?

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खुद को स्वस्थ रखने के लिए खानपान सही रखना सबसे ज्यादा आवश्यक है. इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही आपको गंभीर रूप से बीमार कर सकती है. कुकिंग के लिए अपनाया गया गलत तरीका भी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है. अब इसी को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक गाइडलाइन जारी की है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, स्वस्थ भोजन तैयार करने के लिए कुकिंग और प्रीकुकिंग तकनीक सही होना सबसे आवश्यक है. कुकवेयर्स का सुरक्षित और प्रैक्टिकल इस्तेमाल भी काफी अहम है. कुकिंग में हल्की सी भी लापरवाही भोजन से न्यूट्रीशन को खत्म कर सकती है. ऐसे में आईसीएमआर की कुकिंग गाइलाइन फॉलो कर कुकिंग को सेफ रख सकते हैं.

सोकिंग, ब्लैंचिंग जैसी प्री-कुकिंग तकनीकों पर ICMR का जोर

भोजन की न्यूट्रीशन क्वालिटी बढ़े, इसके लिए ICMR ने  प्री-कुकिंग मेथड जैसे सोकिंग, ब्लैंचिंग और मैरिनेटिंग पर काफी जोर दिया है. सोकिंग की प्रकिया के दौरान अनाज को तकरीबन 3 से 6 घंटे के लिए भिगोया जाता है. इससे अनाज में मौजूद फाइटिक एसिड कम होता है. यह एसिड बॉडी को मिनरल्स एब्जार्व करने से रोकता है. वहीं, सब्जियों को ब्लांच करने से उसका माइक्रोबियल लोड कम होता है और पेस्टिसाइड हटता है. साथ ही सब्जी के रंग, बनावट और पोषक तत्व में कोई बदलाव नहीं आता है. इस प्रोसेस में सब्जियों को थोड़े समय के लिए उबलते पानी या भाप में पकाना है. इसके बाद आमतौर पर बहुत ठंडे पानी में पूरी तरह से ठंडा किया जाता है. ये प्रोसेस उन एंंग्जाइम को खत्म करने के काम आता है जो सब्जी से पोषण तत्वों को कम करते हैं.

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सोकिंग, ब्लैंचिंग और मैरिनेटिंग जैसे प्री-कुकिंग तकनीक से ना सिर्फ खाना तैयार करने में लगने वाला समय कम हो जाता है. साथ ही एनर्जी की भी बचत होती है. इसके अलावा सब्जियों को स्टीम करने या फिर धीमी आंच पर उबालने से वॉटर सॉल्यूबल विटामिन और मिनरल्स को बचाया जा सकता है. सीधा तलने की तुलना में स्टीम और स्लो बॉइलिंग की प्रकिया से आप भोजन में पोषक तत्वों को बनाए रख सकते हैं. ICMR  ने अपने गाइडलाइन में कुकिंग के कुछ ऐसे ही तरीकों को शामिल किया है.

>बॉइलिंग और स्टीमिंग: ये तरीका भोजन में मौजूद वाटर सॉल्यूबल विटामिन्स और मिनरल्स को बचाकर रखता है. साथ ही पकवान तैयार करने में समय भी कम लगता है.

>प्रेशर कुकिंग: भोजन को स्टीम के दबाव में जल्दी पकाने के लिए प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया जाता है. इस कुकवेयर में खाना  तैयार करने से भोजन में विटामिन और मिनरल्स बने रहते हैं.

>फ्राइंग और शैलो फ्राइंग: ये तरीका फूड में फैट को बढ़ा सकता है, जो दिल की बीमारियां होने की एक वजह बन सकता है. हालांकि, खाने का स्वाद बढ़ाने में ये तरीका कारगर साबित हो सकता है.

>माइक्रोवेव में खाना पकाना: खाना बनाने के इस तरीके में समय कम लगता है. साथ ही पोषक तत्व भी भोजन में बने रहते हैं.

भोजन तैयार करने के लिए बर्तनों का चुनाव भी काफी महत्वपूर्ण है. इसमें भी हल्की सी लापरवाही आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.  आईसीएमआर ने अपनी गाइडलाइन में खाना बनाने के तकनीकों के अलावा कौन से कुकवेयर में पकवान तैयार करें इसका भी जिक्र किया है.

मिट्टी के बर्तन: खाना पकाने का ये तरीका  भोजन का स्वाद और उसके मिनरल्स कंटेट को बढ़ा सकता है. हालांकि, इन्हें इस्तेमाल करने से पहले इनकी साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें, वर्ना इस बर्तन में खाना बनाना जोखिम भी साबित हो सकता है.

मेटल और स्टेनलेस स्टील के कुकवेयर: खाना पकाने का टिकाऊ और सुरक्षित तरीका है लेकिन भोजन में मेटल्स के रिसाव से बचने के लिए इसका सही तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए.

टेफ्लॉन से लेपित नॉन-स्टिक पैन: कम वसा वाले खाना पकाने के लिए उपयोगी है. हालांकि, भोजन पकाते वक्त निकलने वाले जहरीले धुएं को रोकने के लिए इसे ज़्यादा गरम नहीं किया जाना चाहिए।

ग्रेनाइट पत्थर के कुकवेयर: पारंपरिक नॉन-स्टिक की तुलना में अधिक सुरक्षित और टिकाऊ माने जाते हैं. ध्यान रखें इसमें कोई हानिकारक रसायन न हों.

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