रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को देश के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निरीक्षण किया। करीब 422 मीटर लंबे इस ट्रैक पर 1000 किमी/घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाई जा सकेगी। आईआईटी मद्रास के युवा इंजीनियरों की टीम ने ट्रैक की तकनीक डिजाइन की है.
केंद्रीय मंत्री ने निरीक्षण के बाद कहा, केंद्र सरकार शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर भविष्य के ट्रांसपोर्ट में इनोवेशन कर रही है। आईआईटी मद्रास में युवा इंजीनियरों की एक टीम हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक बना रही है। इसमें वैक्यूम उत्पन्न होने पर पार्ट मैग्नेटिक लैविटेशन यानी ट्रैक के ऊपर नहीं, बल्कि ट्रैक से ऊपर उठ के चलेगा।
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भविष्य में इस तकनीक के माध्यम से 300 किमी की दूरी करीब 30 मिनट में पूरी की जा सकेगी। आईआईटी मद्रास के हाइपरलूप प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र सचिन पांडे ने बताया कि अभी जो पॉड डिजाइन किया जा रहा है, वह 1000 किलो की परिवहन क्षमता का है। इसका मतलब यह है कि उसमें लगभग 11 व्यक्ति या 1000 किलो वजन के सामान को लाया ले जाया सकता है।
क्या है हाइपरलूप?
यह ट्रेन चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड (ट्रैक) पर चलेगी। हाइपरलूप तकनीक में खंभों के ऊपर (एलिवेटेड) ट्रांसपैरेंट ट्यूब बिछाई जाती है। इसके अंदर लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है। घर्षण नहीं होने के कारण इसकी स्पीड 1100 से 1200 किमी प्रति घंटे तक होती है। बिजली की खपत कम होने के साथ प्रदूषण भी नहीं होता।
