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December 7, 2025 4:44 am

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण: कितना अलग होगा “ओल्ड टैक्स” कानून से “न्यू इनकम टैक्स” कानून!

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 11 अगस्त 2025 को लोकसभा में न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया, जो कि महज 4 मिनट के भीतर ही लोअर हाउस से पास भी हो गया. इस बिल को लेकर तैयारियां काफी दिनों से चल रही हैं. बजट 2025 में भी वित्त मंत्री ने इसके टेबल होने की सूचना दी थी.

हालांकि, अभी इसे राज्यसभा में पास होना होगा फिर राष्ट्रपति की साइन के बाद या कानून बनेगा. आइए समझते हैं कि नए इनकम टैक्स बिल में नए संशोधन कौन से हैं और या पुराने टैक्स कानून यानी इनकम टैक्स एक्ट 1961 से कितना अगल होगा?

केंद्र सरकार ने न्यू इनकम टैक्स के बिल के पुराने ड्राफ्ट को 8 अगस्त 2025 के दिन सदन से वापस ले लिया. यह वही ड्राफ्ट था, जिसे बजट के दौरान संसद में पेश किया था. उसी के बाद बिल को प्रवर कमेटी के पास भेज दिया गया है. सरकार ने कमेटी की ओर से दिए लगभग सभी सुझावों को मान लिया है और 6 दशक से चले आ रहे इनकम टैक्स एक्ट 1961 को रिप्लेस करने के लिए नया बिल लाया गया है.

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न्यू इनकम टैक्स बिल 2025

प्रवर कमेटी ने करीब 4 महीनों के रिव्यू के बाद 285 सुझाव के साथ करीब 4,500 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसके बाद उसे रिफाइन करके केंद्र सरकार ने 535 सेक्शन और 16 शेड्यूल के साथ नया बिल पेश किया. इस बिल में कानून की भाषा को सरल और आसान बनाने पर ज्यादा फोकस किया है. बिल में सीबीडीटी को ज्यादा पावर दी गई है, जिससे वह टैक्स सिस्टम को लेकर ज्यादा पारदर्शी तरीके से काम कर सके.

इनकम टैक्स एक्ट 1961 और न्यू टैक्स बिल में अंतर

पुराने कानून को रिप्लेस करने के लिए सरकार ने इस बिल को पेश किया है. इसमें मुख्य फोकस कानून की भाषा को सरल और आसान करने पर किया गया है.

  1. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 पिछले 60 साल से भारत के टैक्स सिस्टम का आधार रहा है. इसे कई बार अपडेट किया गया, लेकिन ये बदलाव इसे जटिल और आम लोगों के लिए समझना मुश्किल बना देते हैं.
  2. इनकम टैक्स बिल, 2025 इसे एक आसान और आधुनिक सिस्टम से रिप्लेस करना चाहता है. इसमें 536 सेक्शन और 16 शेड्यूल हैं और पुराने “प्रीवियस ईयर” और “एसेसमेंट ईयर” की जगह एक नया टर्म ‘टैक्स ईयर’ लाया गया है.
  3. ये बिल पुराने और कन्फ्यूजिंग नियमों को हटाकर चीजों को क्लियर करता है और झगड़ों को कम करता है. साथ ही, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) को आज के डिजिटल इकॉनमी के हिसाब से नियम बनाने की ज्यादा पावर दी गई है, ताकि कानून फ्यूचर में भी फिट रहे.
DIYA Reporter
Author: DIYA Reporter

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