अमेरिका ने दावा किया है कि उसने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमला किया है. दावा किया जा रहा है कि इस हमले के बाद ईरान को बड़ा झटका लगा है और उसका परमाणु संपन्न बनने का सपना टूट गया है. ईरान ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर इस लड़ाई में अमेरिका शामिल होता है, तो वह क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाएगा. पूरी क्षेत्र में ईरान पकड़ बनाने में उसका एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस उसकी मदद करता है, लेकिन अब ये भी हाथ खड़े करता नजर आ रहा है.
लेबनान के हिजबुल्लाह को ईरान के एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस का सबसे मजबूत समूह माना जाता है. लेकिन अमेरिका हमले के बाद हिजबुल्लाह ने भी हथियार डाल दिए हैं. हिजबुल्लाह के एक प्रवक्ता ने न्यूजवीक को बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से ईरानी परमाणु सुविधाओं के खिलाफ सीधे अमेरिकी हमलों के आदेश के बाद समूह के पास इजराइल और अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की तत्काल कोई योजना नहीं है.
शनिवार देर रात न्यूजवीक को दिए गए संदेश में हिजबुल्लाह के प्रवक्ता ने कहा, “ईरान एक मजबूत देश है जो खुद की रक्षा करने में सक्षम है, तर्क यह बताता है कि वह अमेरिका और इजराइल का सामना कर सकता है. युद्धविराम के बाद से हिजबुल्लाह सभी मामलों पर सहमत होने के लिए प्रतिबद्ध है.” उनके इस बयान के बाद लग रहा है कि ईरान का सबसे बड़ा साथी उसका साथ छोड़ चुका है.
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इजराइल के साथ किया था सीजफायर
हिजबुल्लाह ने गाजा में इजराइल हमलों के विरोध में इजराइल पर रॉकेट हमले शुरू किए थे. जिसके बाद इजराइल लेबनान पर भीषण हमले करते हुए हिजबुल्लाह के प्रमुख नसरुल्लाह समेत दर्जनों अधिकारियों और दो हजार से ऊपर नागरिकों की हत्या कर दी थी.
हिजबुल्लाह ने पिछले साल नवंबर में इजराइल के साथ युद्ध विराम पर हस्ताक्षर किए थे. इजराइल और हिजबुल्लाह ने तब से एक-दूसरे पर युद्ध विराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाना जारी रखा है. इजराइल रक्षा बलों ने हाल के दिनों में लेबनान में समूह के नेतृत्व, विशेष बलों और सैन्य बुनियादी ढांचे के खिलाफ हमले किए हैं, जिसमें इजराइली खुफिया जानकारी से पता चलता है कि हिजबुल्लाह अपनी क्षमताओं को फिर से बनाने का प्रयास कर रहा है.
युद्ध के भयानक रूप लेने का डर
अमेरिका के इस हमले ने मध्य पूर्व में जंग फैलने का डर बढ़ा दिया है. इजराइल ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्णय की सराहना की, संयुक्त राष्ट्र ने तनाव कम करने का आह्वान किया और कुछ देशों ने हमलों की निंदा की है.
