सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) पर लगे आरोपों के बीच IIM (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट) अहमदाबाद के उनके बैचमेट्स से उनका सपोर्ट किया। उन्होंने बुच के खिलाफ लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है। उनके अनुसार, ये आरोप सिर्फ बुच के खिलाफ ही नहीं बल्कि देश की एक “महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक संस्था” की साख पर भी सवाल उठाते हैं। बुच 1988 में देश के सबसे टॉप मैनेजमेंट स्कूल कहने जाने IIM, अहमदाबाद से पाउआउट हुई थीं।
बैचमेट्स ने एक बयान में कहा कि SEBI चीफ के बारे में बताई जा रही कहानी उन्हें कभी “सच नहीं” लगी थी क्योंकि वे उन्हें 35 साल से जानते हैं। इसलिए उन्होंने बुच के खिलाफ उठाए गए सभी सवालों का फैक्ट चेक करने के लिए उचित परिश्रम भी किया। बयान में कहा हया कि उन्होंने “सवालों से परिचित लोगों” से बात की और दावों की पुष्टि करने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डॉक्यूमेंट्स को देखा।
बयान में कहा गया है, “हैरानी की बात नहीं है कि हमने पाया कि उनके बारे में बनाई जा रही कहानी साफ तौर से झूठी है और जिन आंकड़ों की बात की जा रही है, जाहिर तौर पर उन्हें बुच के ही आयकर रिटर्न से लिया गया है।”
बुच को उनके बैचमेंट्स से यह सपोर्ट ऐसे समय में मिला है जब ऐसी खबरें आ रही हैं कि संसद की लोक लेखा समिति (PAC) बुच की जांच करने जा रही है और इस महीने के अंत में उन्हें तलब भी किया जा सकता है। SEBI प्रमुख पर पिछले कुछ हफ्तों में कई आरोप लगे हैं।
देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने हाल ही में बुच पर “खुल्लम-खुल्ला भ्रष्टाचार” का आरोप लगाया था। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया कि बुच ने वॉकहार्ट से जुड़े एक फर्म को अपनी संपत्ति किराए पर दी, जो कथित तौर पर इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े मामलों में SEBI के जांच के घेरे में है। हालांकि, वॉकहार्ट ने इन आरोपों को पूरी तरह से गलत और गुमराह करने वाला बताया है।
इससे पहले कांग्रेस ने ICICI बैंक से बुच को मिले पेमेंट्स पर भी सवाल उठाए थे, जो उनके SEBI ज्वाइन करने के बाद भी जारी रहे। कांग्रेस का आरोप है कि यह पेमेंट्स, लाभ के पद के नियमों का उल्लंघन करता है और उसने इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की है।
इसी बीच, Zee के फाउंडर सुभाष चंद्रा ने भी बुच पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। SEBI के कर्मचारियों का एक समूह भी वित्त मंत्रालय में संस्था “दमघोंटू वर्क कल्चर” की शिकायत कर चुका है। कर्मचारियों के इस समूह ने SEBI के मुंबई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया।
बुच पर आरोप लगने का सिलसिला तब शुरू हुआ, जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप के खिलाफ लगाए आरोपों की SEBI जांच पर बुच के हितों के टकराव का सवाल उठाया।