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June 29, 2025 8:57 pm

Hepatitis Day 2024: महाराष्ट्र में हेपेटाइटिस ए, बी, सी के आंकड़े……..’रोज मिल रहे इतने मरीज कि डरा देंगे……..’

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मुंबई : राज्य में प्रतिदिन औसतन 3 लोगों में हेपेटाइटिस बी या सी का संक्रमण मिला है। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीएचसीपी) के तहत पिछले 4.4 वर्षों में बी और सी से कुल 4,962 लोग संक्रमित मिले हैं। वहीं, दूसरी ओर अच्छी बात यह है कि इन सभी लोगों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी बीमारी होती है, जो वायरल इंफेक्शन के कारण होती है। हेपेटाइटिस के कुल 5 प्रकार होते हैं। हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई। इनमें से हेपेटाइटिस ए, डी, ई दूषित खानपान से होती है। इनमें सही समय पर इलाज से आदमी 3 से 5 दिन में ठीक हो जाता है और बहुत ही दुर्लभ स्थिति में व्यक्ति की मौत होती है। वहीं हेपेटाइटिस बी और सी वायरस का प्रसार और दूषित रक्त और रक्त घटकों, असुरक्षित शारीरिक संपर्क, दूषित सुइयों, उपकरणों के उपयोग आदि के माध्यम से रोग का संचरण होता है। उक्त 5 प्रकारों में से हेपेटाइटिस बी और सी दो महत्वपूर्ण प्रकार हैं और इन हेपेटाइटिस के नियंत्रण से रोगी का लिवर निष्क्रिय हो जाता है। लिवर सिरोसिस, हेपेटासेल्युलर कार्सिनोमा, लिवर कैंसर के कारण मृत्यु का खतरा होता है।

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बी और सी की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए केंद्र सरकार ने एनवीएचसीपी की शुरुआत की है। हालांकि कोविड महामारी के दौरान अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम के तरह यह भी बेपटरी हो गई थी, लेकिन एक बार फिर स्क्रीनिंग और ट्रीटमेंट पर जोर दिया जा रहा है।

बी’ और ‘सी’ के मरीज

राज्य स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार उक्त कार्यक्रम के तहत अगस्त 2019 से जून 2023 तक कुल 51,89,193 लोगों की हेपेटाइटिस बी की जांच की गई है, जिनमें से कुल 3,424 बीमारी की पुष्टि हुई है। हेपेटाइटिस सी के लिए कुल 22,48,614 लोगों की जांच की गई है, जिनमें से कुल 1,538 में रोग की पुष्टि हुई है। इन सभी का इलाज जारी है।

प्रत्येक जिले में एक केंद्र

हेपेटाइटिस बी और सी का शीघ्र पता लगाने और उपचार प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र के प्रत्येक जिले में 1 एनवीएचसीपी उपचार केंद्र स्थापित किया गया है। इसमें 4 प्रमुख केंद्र ऐसे भी निर्धारित किए गए हैं, जहां गंभीर रोगियों का उपचार किया जाता है।

जड़ से ठीक नहीं होता हेपेटाइटिस बी

हेपेटाइटिस बी के रोगियों को जीवन भर उपचार की आवश्यकता होती है। जबकि हेपेटाइटिस सी से पीड़ित मरीज उपचार की तीन खुराक के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

हेपटाइटिस बी और सी की जांच और उपचार सुविधा प्रत्येक जिले में उपलब्ध है। लोगों को बिना समय गंवाए अपना स्टेटस जानना चाहिए। सही समय पर जांच और उपचार से बीमारी से ठीक होने या फिर बीमारी को रोकने में मदद मिलती है।

नवजात में संक्रमण रोकना के लिए टीका

सभी गर्भवती महिलाओं की हेपेटाइटिस बी के लिए जांच की जाती है और जो महिलाएं हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव होती हैं उन्हें जन्म के तुरंत बाद एचबीआईजी इंजेक्शन दिया जाता है। ताकि हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव मां से हेपेटाइटिस बी के संभावित प्रकोप को रोका जा सके। उक्त कार्यक्रम के तहत अगस्त 2019 से जून 2023 तक राज्य में कुल 40,406 वंचित बच्चों को एचबीआईजी इंजेक्शन दिया गया है। साथ ही हेपेटाइटिस बी के खतरे को रोकने के लिए हेपेटाइटिस बी के टीके को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है।

मुंबई के दो केंद्र में 1900 मरीज

मुंबई में हेपेटाइटिस बी और सी के उपचार के लिए दो केंद्र हैं, जिनमें से बीएमसी केईएम अस्पताल में लगभग 1000 और सायन अस्पताल 900 मरीज रजिस्टर्ड हैं और ट्रीटमेंट ले रहे हैं।

इन लोगों की हो जांच’

सायन अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. मेघराज इंगले ने बताया कि डायलिसिस, थैलेसीमिया, असुरक्षित यौन संबंध बनाने वाले, टैटू बनवाने, सर्जरी करवाने के बाद लोगों को हेपटाइटिस की जांच करवानी चाहिए। उक्त लोग उच्च जोखिम समूह के श्रेणी में आते हैं और इनमें संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है।

बीमारी के लक्षण

हेपेटाइटिस के लक्षण अक्सर बीमारी बढ़ने और गंभीर होने के बाद पता चलता है। पीलिया होना, पेट में पानी भरना, पैर में पानी भरना, भूख नहीं लगना, वजन घटना और गंभीर स्थिति में खून की उल्टियां भी होती है।

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