थैलेसीमिया से जूझ रहे 7 बच्चों को रक्त चढ़ाने के बाद HIV पॉजिटिव आने की घटना ने झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में यह लापरवाही सामने आई है. जहां संक्रमित रक्त चढ़ाने से मासूमों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है. इस घटना की गंभीरता को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और स्वास्थ्य सचिव व सिविल सर्जन से जवाब मांगा है.
7 साल के बच्चे से शुरू हुई जांच
मामला शुक्रवार को तब उजागर हुआ, जब एक 7 साल के थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के परिजनों ने अस्पताल के ब्लड बैंक पर आरोप लगाया. बच्चे को 13 सितंबर को रक्त चढ़ाया गया था, लेकिन 18 अक्टूबर को फॉलो-अप जांच में एचआईवी पॉजिटिव रिपोर्ट आई. परिजनों ने ब्लड बैंक तकनीशियन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई.
वहीं, शनिवार को रांची से आई 5 सदस्यीय मेडिकल टीम ने जांच पड़ताल की, जिसमें 6 और थैलेसीमिया बच्चों के रिजल्ट HIV पॉजिटिव पाए गए. इन बच्चों को हर 15-30 दिनों में रक्त चढ़ाना पड़ता था. डिप्टी कमिश्नर चंदन कुमार ने बताया कि बच्चों के अलग-अलग ब्लड ग्रुप होने से संक्रमण एक ही दानकर्ता से नहीं, बल्कि विभिन्न स्रोतों से फैला हुआ लगता है.
ब्लड बैंक में केवल इमरजेंसी सेवा
वहीं, स्वास्थ्य निदेशक डॉ. दिनेश कुमार के नेतृत्व वाली टीम ने सदर अस्पताल के ब्लड बैंक और पीआईसीयू वॉर्ड का निरीक्षण किया. जांच में ब्लड बैंक में कई खामियां मिलीं, जिसके बाद इमरजेंसी सेवाओं तक सीमित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच से संक्रमित रक्त चढ़ाने की पुष्टि हुई है. दानकर्ताओं के सैंपल दोबारा जांचे जा रहे हैं. जिले में वर्तमान में 56 थैलेसीमिया मरीज और 515 HIV पॉजिटिव केस हैं, जो स्थिति की गंभीरता दर्शाते हैं.
हाईकोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
जानकारी के अनुसार झारखंड हाईकोर्ट ने रविवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने सिविल सर्जन डॉ. सुशांतो माजी और स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी किया है. वहीं, राज्य सरकार ने पहले ही तीन सदस्यीय स्थानीय समिति गठित कर ली है, जो जल्द रिपोर्ट सौंपेगी.
यह घटना थैलेसीमिया जैसे रोगों में नियमित ट्रांसफ्यूजन की जोखिमों को उजागर करती है. इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड स्क्रीनिंग में सख्ती जरूरी है. मासूमों के परिवार सदमे में हैं, जांच पूरी होने पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाने की संभावना है.
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