जब भी दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है, सोने की कीमतें ऊपर जाती हैं, फिर चाहे 2008 की आर्थिक मंदी रही हो या 2020 की महामारी का दौर. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. भू-राजनीतिक तनाव, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और मौद्रिक नीतियों में बदलाव ने इस बार की तेजी को बल दिया है. ऐसे में सोना एक बार फिर चमक रहा है और 2025 में नए ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने अपने सोने के भंडार लगभग दोगुने कर लिए हैं. यह दिखाता है कि दुनिया भर के देश अब भी सोने को एक भरोसेमंद वैश्विक संपत्ति मानते हैं. भारत ने भी पिछले कुछ वर्षों में लगातार अपने गोल्ड रिज़र्व बढ़ाए हैं, खासकर तब जब वैश्विक बाजार अस्थिरता से गुजर रहा था.
इस साल 60% उछला सोना
मनीकंट्रोल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि इस साल सोने की कीमतों में अब तक 60% से ज्यादा का उछाल आया है. अगर पुराने दौर की बात करें, तो जनवरी 2008 से अगस्त 2011 तक सोने की कीमतें लगभग 100% बढ़ी थीं, और जनवरी से अगस्त 2020 के बीच लगभग 53% की बढ़त दर्ज की गई थी. इस बार भी सोना लगभग $4,000 प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है. अमेरिकी सरकार के शटडाउन और फ्रांस में राजनीतिक संकट ने बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी, जिससे निवेशक सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने की ओर भागे. सोमवार को सोने की कीमतों में 1.9% की बढ़त के बाद यह $3,977.44 प्रति औंस तक पहुंच गया.
एक और बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व का सितंबर 2025 में ब्याज दरों में 0.25% की कटौती है. अगर आगे श्रम बाजार के आंकड़े कमजोर रहे तो और कटौती की संभावना है. जब अमेरिकी ब्याज दरें घटती हैं, तो डॉलर कमजोर होता है और इसी वजह से सोने की कीमतें बढ़ती हैं, क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्प की तलाश में रहते हैं.
रुपये का गिरना भी एक बड़ा कारण
इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में तनाव और असमान वैश्विक आर्थिक वृद्धि ने भी निवेशकों को सोने की ओर मोड़ा है. भारत में रुपये की कमजोरी ने इस बढ़ोतरी को और तेज किया है. जब रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है, तो आयातित सोना महंगा हो जाता है और स्थानीय बाजार में कीमतें और ऊपर चली जाती हैं. पिछले 30 वर्षों में सोने ने रुपये में करीब 11% वार्षिक रिटर्न दिया है, जबकि डॉलर के हिसाब से यह लगभग 7.6% रहा है.
हालांकि महंगे दामों के कारण ज्वेलरी की मांग थोड़ी घट सकती है, लेकिन निवेश के रूप में गोल्ड ETF और डिजिटल गोल्ड की मांग तेजी से बढ़ रही है. अब लोग सोने को सिर्फ महंगाई से बचाव का साधन नहीं, बल्कि अपने निवेश पोर्टफोलियो का जरूरी हिस्सा मानने लगे हैं.
कीमतें गिरें तो खरीदने की सलाह
टाटा म्यूचुअल फंड की अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, “हम उम्मीद करते हैं कि निकट भविष्य में सोने की कीमतें $3,500 से $4,000 प्रति औंस के दायरे में स्थिर रह सकती हैं, क्योंकि दुनिया अमेरिकी टैरिफ नीतियों और भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है. निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे निवेश जारी रखें और अगर शॉर्ट टर्म में कीमत नीचे आए तो सोना खरीदने का अवसर बनाएं.”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “हम मानते हैं कि आने वाले समय में सोने के लिए माहौल अनुकूल रहेगा. यह महंगाई, भू-राजनीतिक अस्थिरता और मुद्रा अवमूल्यन के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा कवच है. निवेशक सोने और चांदी में 50:50 का अनुपात रख सकते हैं क्योंकि दोनों ही आकर्षक निवेश विकल्प हैं.”
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