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November 22, 2024 8:33 am

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Global Economy Soft Landing: सीतारमण ने ऐसा क्‍यों कहा…….’मुश्किल दौर होगा खत्‍म, ग्‍लोबल इकोनॉमी की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की संभावना…..

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Global Economy Soft Landing: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन में कहा क‍ि पिछले कई साल से मुश्किल दौर का सामना कर रही ग्‍लोबल इकोनॉमी की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर संभावना बढ़ रही है. इकोनॉमी में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से तात्पर्य आर्थिक विकास के दौरान आने वाली ऐसी एक चक्रीय मंदी है जो पूर्ण मंदी की स्थिति आए बिना समाप्त हो जाती है. वित्त मंत्री ने कहा कि विभिन्न देशों और बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने से अच्छे दिन आने वाले हैं, लेकिन उन्होंने साथ ही चेताया कि अर्थव्यवस्थाएं अभी उतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ रही हैं.

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ग्‍लोबल इकोनॉमी की ‘साफ्ट लैंडिंग’ की संभावना बढ़ रही

सीतारमण ने वाशिंगटन-डीसी के एक ‘ग्लोबल थिंक टैंक’ से कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्‍ड बैंक में दो दिवसीय वार्ता के दौरान यही संभावना नजर आई कि ग्‍लोबल इकोनॉमी की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ होगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), केंद्रीय बैंकों और सभी संस्थानों एवं सरकारों के प्रयासों ने कुछ अवधि के लिए महंगाई में कमी को बनाए रखा है. इसलिए ग्‍लोबल इकोनॉमी की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की संभावना बढ़ रही है.’

आठ साल में 40 अरब डॉलर चोरी होने से बचाए

इससे पहले व‍ित्‍त मंत्री ने बताया था क‍ि सरकार ने डायरेक्‍ट बेन‍िफ‍िट ट्रांसफर (DBT) योजनाओं से पिछले आठ साल में 40 अरब डॉलर की राशि चोरी होने से बचाई है. अमेरिका यात्रा के दौरान पेंसिल्वेनिया यून‍िवर्सटी के व्हार्टन बिजनेस स्कूल में सीतारमण ने कहा क‍ि केंद्र सरकार के 51 से ज्‍यादा मंत्रालय और विभाग अलग-अलग डीबीटी योजनाओं का उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस सरकारी योजना के जर‍िये पिछले आठ साल में अब तक 450 अरब डॉलर से ज्‍यादा की धनराशि ट्रांसफर की जा चुकी है.

उन्होंने वहां पर मौजूद लोगों से कहा, वित्त मंत्री के रूप में मुझे चोरी को रोकना होगा. मुझे यह फ‍िक्‍स करना होगा कि हर टैक्‍सपेयर का रुपया सही सही तरीके से खर्च हो, उसका सही हिसाब-किताब हो. मैं चोरी को हावी नहीं होने देना चाहती. आधार-लिंक्ड डीबीटी के जरिए अलग-अलग कल्याणकारी योजनाओं से नकद लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इस सुविधा के साथ दस्तावेजों की जरूरत खत्म हो जाती है और फर्जी लाभार्थियों जैसी परेशानी भी नहीं आती.

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