ताइवान में आयोजित एक नेशनल युद्ध अभ्यास में अमेरिकी हथियारों को दिखाया गया है, जिसके बाद से चीन ने ताइवान के चारों और अपने सैन्य अभ्यास शुरू कर दिए हैं. चीन और ताइवान के बीच बढ़ रहे तनाव पर अमेरिका करीबी नजर रख रहा है.
अमेरिका क्षेत्र में अपने सहयोगी जापान और ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बना रहा है कि वह भविष्य के खतरे और ताइवान की सुरक्षा के लिए अपने सैनिकों को तैनात. ऐसा करने ऑस्ट्रेलिया ने साफ मना कर दिया है और कहा है कि प्रशांत सागर में जब तक युद्ध की नौबत नहीं आती वह अपने सैनिक नहीं भेजेगा. जापान ने भी तैनाती को लेकर अपना रुख साफ नहीं किया है.
अमेरिका को जवाब देते हुए रक्षा उद्योग मंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपनी संप्रभुता को प्राथमिकता देता है और “काल्पनिक बातों पर चर्चा नहीं करेगा.
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अमेरिका डाल रहा दबाव
शनिवार को फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि पेंटागन ने जापान और ऑस्ट्रेलिया पर दबाव डाला है कि अगर अमेरिका ताइवान विवाद को लेकर चीन के साथ युद्ध करता है तो वे अपनी भूमिका साफ करें. जिसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि वह समय आने पर अपनी भूमिका तय करेगा. ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन से बात करते हुए, रक्षा उद्योग मंत्री पैट कॉनरॉय ने कहा, “किसी संघर्ष में ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों को भेजने का निर्णय तत्कालीन सरकार की ओर से लिया जाएगा, पहले से नहीं.” इससे पहले मंत्री मे कहा था कि क्षेत्र में बढ़ी चीन की तैनाती वह चिंतित हैं.
प्रशांत द्वीप में चीन बनाना चाहता है किए सैन्य बेस
कॉनरॉय ने पहले कहा थी चीन प्रशांत क्षेत्र में एक सैन्य अड्डा स्थापित करना चाहता है और हम इस क्षेत्र के लिए प्राथमिक सुरक्षा साझेदार बनने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, क्योंकि हमें नहीं लगता कि यह ऑस्ट्रेलिया के लिए विशेष रूप से अनुकूल बात है. लेकिन जब अमेरिका ने युद्ध की संभावना को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया से तैयारी को लेकर जवाब माना, तो उन्होंने अपने सैनिक भेजने से फिलहाल मना कर दिया है.
अगर ताइवान युद्ध हुआ, तो क्या करेगा अमेरिका?
अमेरिका लंबे समय से ताइवान को मदद देता आ रहा है. ताइवान चीन को घेरने के लिए अमेरिका के एक टूल की तरह काम कर सकता है. लेकिन अमेरिका सीधे तौर पर इस क्षेत्र में कूदने से बचता दिखाई दे रहा है और इस युद्ध को भी ताइवान जापान, ऑस्ट्रेलिया के सहारा लड़ना चाहता है.
