दुनियाभर में आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग (अवैध धन शोधन) पर निगरानी रखने वाली वैश्विक संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने अपनी ताजा समीक्षा रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में उत्तर कोरिया (डीपीआरके), ईरान और म्यांमार को फिर से ‘ब्लैकलिस्ट’ में रखा गया है। वहीं, नेपाल समेत 18 देशों को ‘ग्रेलिस्ट’ में बनाए रखा गया है। एफएटीएफ ने कहा कि इन तीनों देशों की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर टेररिस्ट फाइनेंसिंग व्यवस्था में गंभीर कमियां हैं। ये देश लगातार अपने वादे पूरे नहीं कर पाए हैं और इससे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को जोखिम बना हुआ है।
बता दें कि म्यांमार को अक्तूबर 2022 में ब्लैकलिस्ट में डाला गया था। देश अब तक अपनी एक्शन प्लान के ज्यादातर बिंदुओं पर प्रगति नहीं कर पाया है। एफएटीएफ ने चेतावनी दी थी कि अगर अक्तूबर 2025 तक सुधार नहीं हुए, तो और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
हालांकि में म्यांमार ने जब्त की गई संपत्तियों के प्रबंधन में कुछ सुधार किए हैं, लेकिन उसे अपने कानून प्रवर्तन तंत्र में वित्तीय खुफिया जानकारी के इस्तेमाल, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अवैध संपत्तियों की जब्ती पर और काम करने की जरूरत है।
2018 से पूरा नहीं हुआ ईरान का एक्शन प्लान
इसी सिलसिले में ईरान ने 2018 में समाप्त हुए अपने एक्शन प्लान को अब तक पूरा नहीं किया है। हालांकि उसने अक्तूबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र के एक आतंक वित्तपोषण से जुड़े कानून को मंजूरी दी है, लेकिन एफएटीएफ के अनुसार अब भी कई प्रमुख कमियां बाकी हैं। फरवरी 2020 से ईरान ने कई रिपोर्टें जमा कीं, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। एफएटीएफ ने सदस्य देशों को कहा है कि वे ईरान से संबंधित वित्तीय संस्थानों पर सख्ती बरतें, नई शाखाएं खोलने की अनुमति न दें और जोखिमों को ध्यान में रखें।