बांग्लादेश के ख़िलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ में टीम इंडिया के लिए कोई भी खिलाड़ी आधिकारिक तौर पर उप-कप्तान नहीं था लेकिन न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ एक बदलाव हुआ है. जसप्रीत बुमराह को फिर से उप-कप्तानी की जिम्मेदारी दी गई है. इसका मतलब ये है कि बुमराह कीवी टीम के ख़िलाफ तीनों मैच में खेलेंगे ही और अगर किसी एक मैच में आराम भी किया तो टीम के साथ जुड़े रहेंगे. अगर वो ब्रेक लेते हैं तो क्या फिर से किसी और खिलाड़ी को उप-कप्तानी दी जाएगी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब सीधे सीधे किसी के पास नहीं हैं.
बहरहाल, बुमराह को फिर से उप-कप्तान घोषित करके अजीत अगरकर और उनके साथियों ने ये तय कर दिया कि शुभमन गिल को लेकर जो अटकलों का बाज़ार गर्म था उस पर विराम लग जाएगा. गिल के लिए पिछली दो टेस्ट सीरीज़ (इंग्लैंड के ख़िलाफ और फिर बांग्लादेश) बहुत ही शानदार रही हैं और उन्हें भविष्य के टेस्ट कप्तान के तौर पर भी देखा जाने लगा है. इसकी वजह ये भी रही कि गिल को हाल ही में जिम्बाब्वे दौरे पर टी20 टीम का कप्तान बनाया गया था. लेकिन, गिल को उप-कप्तानी नहीं देकर चयनकर्ताओं ने भविष्य की लीडरशीप को लेकर भी कई संकेत दिए हैं.
पहला संकेत तो ये साफ है कि निकट भविष्य में अब भारत को शायद महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसा ऐसा कप्तान नहीं मिलने वाला है जो तीनों फॉर्मेट में हर मैच खेले. टीम इंडिया का कार्यक्रम अब इतना व्यस्त है कि सूर्यकुमार यादव ही अगले एक साल तक टी20 टीम की कप्तानी करते दिखेंगे. बांग्लादेश के ख़िलाफ टीन मैचों की सीरीज़ जीतने वाले ज़्यादातर खिलाड़ी साउथ अफ्रीका में नवंवर में होने वाली सीरीज़ का हिस्सा होंगे. उसी वक्त टेस्ट टीम और इंडिया ए ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर होगी. इंडिया ए का मतलब है लाल गेंद वाले खिलाड़ी जिसकी कप्तानी ऋतुराज गायकवाड करते दिख सकते हैं. दरअसल, भविष्य की टेस्ट कप्तानी के लिए गायकवाड़ भी प्रबल दावेदार होंगे. यह अलग बात है कि उन्होंने अभी तक कोई भी टेस्ट नहीं खेला है.
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उप-कप्तानी मिलना कप्तान बनने की गारंटी नहीं
लेकिन, टेस्ट में उप-कप्तान बनने का बिलकुल ये मतलब नहीं है कि आपको निश्चित तौर पर भविष्य में कप्तानी मिलेगी ही. बुमराह को पहली बार टेस्ट में कप्तानी का मौका 2022 में इंग्लैंड में बर्मिंघम में मिला था जब रोहित कोविड के चलते आखिरी मौके पर टीम से बाहर हो गए थे. इस बार भी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहले या दूसरे टेस्ट में बुमराह कप्तानी करते दिख सकते हैं अगर नियमित कप्तान निजी कारणों के चलते ब्रेक लेते हैं.
केएल राहुल की तरफ रुख क्यों नहीं किया
सवाल ये है कि चयनकर्ताओं ने केएल राहुल की तरफ रुख क्यों नहीं किया जो कुछ साल पहले साउथ अफ्रीका में कप्तानी की भूमिका निभा चुके थे जब नियमित कप्तान कोहली कुछ मैचों के लिए उपलब्ध नहीं थे. दरअसल, राहुल के खेल में निरंतरता के अभाव ने ही फिलहाल उन्हें ना सिर्फ कप्तानी बल्कि उप-कप्तानी की दौड़ से बाहर कर दिया है. राहुल की स्थिति लगभग वैसी ही हो गई है जो कुछ समय पहले अंजिक्य रहाणे की थी. रहाणे 2023 में वेस्टइंडीज दौरे पर उप-कप्तान थे लेकिन उसके बाद बल्लेबाज के तौर पर कामयाब नहीं होने के चलते अब टीम का भी हिस्सा नहीं हैं.
जडेजा-अश्विन कभी नहीं बन पाए उप-कप्तान
रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन तो दिग्गज टेस्ट खिलाड़ी होने के बावजूद कभी उप-कप्तान तक नहीं
बन पाए जबकि चेतेश्वर पुजारा को ये मौका कुछ साल पहले जरूर मिला. भले ही कुछ ही मैचों के लिए ही सही. इन खिलाड़ियों के बीच में युवा ऋषभ पंत को भी उप-कप्तानी की जिम्मेदारी मिली लेकिन टेस्ट क्रिकेट में नहीं. कई जानकारों का ये भी मानना है कि भविष्य के लिए कप्तान के तौर पर पंत टेस्ट टीम के लिए सबसे योग्य दावेदार है. वो मैच विनर भी हैं, अब अनुभवी भी हैं और धोनी की तरह विकेटकीपर भी. मौजूदा कप्तान रोहित शर्मा के साथ पंत के रिश्ते भी बेहद अच्छे हैं. तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर पंत को फिर उप-कप्तान क्यों नहीं बनाया गया?
पंत को लेकर चयनकर्ताओं का रुख साफ
इसकी दो वजह है. नंबर 1 ये कि चयनकर्ता चाहते हैं कि पंत बिना किसी अतिरिक्त ज़िम्मेदारी के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उसी अंदाज़ में खेलें जिस तरीक से उन्होंने पिछली दो टेस्ट सीरीज़ जिताने में अहम भूमिका निभाई. दूसरी वजह है कि पंत करीब एक साल से भी ज़्यादा समय तक टेस्ट टीम से दूर रहे हैं और भले ही उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ शानदार वापसी की है लेकिन फिलहाल उन्हें उप-कप्तानी की जिम्मेदारी देना जल्दबाज़ी हो जाती.
क्या किसी युवा खिलाड़ी को उप कप्तान बनाना सही होता
बुमराह को उप-कप्तानी देने की एक और वजह ये भी है कि टी20 और वनडे में बुमराह फिलहाल कप्तानी करते नहीं दिख रहे हैं. टी20 में सूर्या हैं तो वनडे में चैंपियंस ट्रॉफी तक रोहित शर्मा. उसके बाद अगले साल रोहित शर्मा वनडे क्रिकेट को लेकर किस तरह की रुपरेखा बनाते हैं या फिर चयनकर्ता सोचते हैं उस पर काफी सस्पेंस बना रहेगा. ऐसे में अगले साल इंग्लैंड के दौरे तक यानि की न्यूजीलैंड के ख़िलाफ 3, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप को मिलाकर इंग्लैंड में 6 टेस्ट का मतलब होगा कुल मिलाकर अगले 10 महीनों में 14 टेस्ट मैच. ऐसे में फिर से अहम सवाल ये कि सीनियर खिलाड़ियों की फिटनेस को देखते हुए क्या ये बेहतर नहीं होता कि किसी एक युवा खिलाड़ी को उप-कप्तानी की जिम्मेदारी दी जाती? क्योंकि बुमराह के लिए भी शायद 14 के 14 टेस्ट में खेलना मुमिकन ना हो.
हर खिलाड़ी करता है बुमराह का सम्मान
हो सकता है कि चयनकर्ता अभी बहुत ज़्यादा दूर की नहीं सोच रहे हों. हर किसी का ध्यान फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में लगातार तीसरी बार टेस्ट सीरीज जीतने पर है. और बुमराह को उप-कप्तानी देने का फैसला भी उसी बात से जुड़ा हुआ है. ऑस्ट्रेलिया में सीरीज में जीत, सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म और फिटनेस भी कई मायनों में इस बात को तय कर देगा कि भविष्य के कप्तान और उप-कप्तान के तौर लंबी रेस के घोड़े कौन-कौन हैं. फिलहाल, टीम के लिए अच्छी बात ये है कि बुमराह जैसे उप-कप्तान को ना सिर्फ कप्तान रोहित बल्कि पूर्व कप्तान विराट कोहली से जबरदस्त सम्मान हासिल है और गिल, पंत, राहुल समेत भविष्य के कप्तानी के दावेदार भी इस सीनियर खिलाड़ी का लोहा मानते हैं और उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है. बुमराह के इस टीम के उप-कप्तान रहने से अश्विन और जडेजा जैसे खिलाड़ी भी काफी सहज महसूस करते हैं जिनके साथ गुजरात के इस गेंदबाज का संबध बेहद दोस्ताना है.