हरियाणा और जम्मू-कश्मीर दोनों में ही विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो गई है. शनिवार को सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में जो स्थिति बनती दिख रही है, उससे एक अनुमान है कि हरियाणा में जहां जेजेपी की स्थिति अच्छी नहीं है, तो वहीं जम्मू-कश्मीर में पीडीपी की साख भी गिरी है. दोनों राज्यों की इन क्षेत्रीय पार्टियों को अपने-अपने स्तर पर बड़े नुकसान हुए हैं. खास तौर पर दोनों पार्टियों को अपने पुराने सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) से गठबंधन करने का खामियाजा भुगतना पड़ा है और फिर अपने इलाकों में उनका सफाया होता दिख रहा है.
हरियाणा: JJP का गठबंधन और अकेले चुनाव लड़ने का नुकसान
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार को मतदान के बाद आए एग्जिट पोल के नतीजों ने दुष्यंत चौटाला की पार्टी JJP के लिए एक कठिन तस्वीर पेश की है. सी वोटर के एग्जिट पोल के अनुसार, JJP को केवल 4% वोट मिलने का अनुमान है, जिससे पार्टी 0-2 सीटों तक सिमट सकती है. यह नतीजा पिछले चुनाव के विपरीत है, जब 2019 में JJP ने 10 सीटें जीती थीं और बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी.
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हालांकि, इस बार JJP का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला उसके लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है. खासतौर पर किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी के साथ गठबंधन में रहना JJP के लिए बड़ी गलती साबित हुआ. किसान आंदोलन में JJP का समर्थन खोने से पार्टी के जाट वोट बैंक को भारी झटका लगा. दुष्यंत चौटाला खुद मानते हैं कि उस समय बीजेपी के साथ रहना गलत था, और यह गलती उन्हें अब भारी पड़ रही है. एग्जिट पोल के अनुसार, JJP को इस चुनाव में भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, और पार्टी के लिए आगे का रास्ता मुश्किल नजर आ रहा है.
जम्मू-कश्मीर: PDP की गिरती साख
दूसरी तरफ, जम्मू-कश्मीर में भी एग्जिट पोल के नतीजे PDP के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं. महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP, जो कभी घाटी में मुख्यधारा की कश्मीरी मुस्लिम वोटबैंक की प्रमुख पार्टी थी, अब गिरावट का सामना कर रही है. सी वोटर के सर्वे के अनुसार, PDP को 6-12 सीटें मिलने का अनुमान है, जो पिछली बार के मुकाबले काफी कम है. 2015 में PDP ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर राज्य में सरकार बनाई थी, लेकिन इस गठबंधन के बाद पार्टी का समर्थन आधार टूट गया.
अनुच्छेद 370 हटने के बाद PDP की स्थिति और कमजोर हो गई, क्योंकि यह पार्टी की विचारधारा के खिलाफ था. इसके परिणामस्वरूप PDP के समर्थकों ने पार्टी से दूरी बना ली, और अब पार्टी तीसरे पायदान पर पहुंच गई है. हालांकि, PDP के पास किंगमेकर बनने का मौका हो सकता है, लेकिन उसकी राजनीतिक ताकत में स्पष्ट गिरावट देखी जा रही है.
गठबंधन की राजनीति का दोहरा असर
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर दोनों ही राज्यों में, क्षेत्रीय पार्टियों के बीजेपी के साथ गठबंधन करने के फैसले ने उनकी राजनीतिक स्थिति को कमजोर किया है. जहां हरियाणा में JJP को किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी के साथ रहने का खामियाजा भुगतना पड़ा, वहीं जम्मू-कश्मीर में PDP को बीजेपी के साथ सत्ता साझेदारी और अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करने के बावजूद समर्थन खोना पड़ा. दोनों पार्टियों के लिए 2024 का चुनाव एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे दर्शाते हैं कि भविष्य उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है.