दिल्ली में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले नई दिल्ली सीट को लेकर घमासान बढ़ गया है। अब नई दिल्ली जिले के चुनाव अधिकारी ने अब मुख्य निर्वाचन अधिकारी को शिकायत लिखकर आम आदमी पार्टी (आप) की शिकायत की है। अधिकारी का कहना है कि ‘आप’ के प्रतिनिधि बार-बार आकर ऐसी जानकारी मांगते हैं जो उन्हें दी नहीं जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री उन्हें बिना किसी अजेंडा के मिलने को बुलाती हैं।
नई दिल्ली के जिले के चुनाव अधिकारी (DEO) ने 4 जनवरी को यह लेटर दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखा और ‘आप’ की शिकायत की। उन्होंने यह शिकायत ऐसे समय पर की है जब ‘आप’ के नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि नई दिल्ली सीट पर गलत तरीके से वोटर्स का नाम जोड़ने और हटाने की कोशिश की जा रही है। एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री आतिशी ने दावा किया कि समरी रिवीजन के बाद 10 हजार से अधिक वोटर्स के नाम जोड़ने के आवेदन आए हैं तो हजारों नाम काटने के लिए भी आवेदन किए गए हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस पर घट सकती है GST, 35% स्लैब पर अभी कोई फैसला नहीं!
डीईओ ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधि बार-बार मेरे दफ्तर में आते हैं और ऑब्जेक्टर्स (वोटर लिस्ट में किसी नाम पर आपत्ति जाहिर करने वाले) की व्यक्तिगत जानकारी मांगते हैं, जबकि भारतीय निर्वाचन आयोग की दिशानिर्देशों के मुताबिक ऐसा नहीं किया जा सकता है।’ अधिकारी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी की भी शिकायत की है। उन्होंने लिखा, ‘दिल्ली सीएम की ओर से मुझे पहले भी बिना कोई अजेंडा बताए बुलाया गया है, उन्होंने फिर बिना किसी तय अजेंडे को मीटिंग के लिए बुलाया, जहां वोटर लिस्ट को लेकर चर्चा हुई।’ उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से इस बात को लेकर मार्गदर्शन मांगा कि क्या उन्हें सरकार की ओर से बुलाए जाने वाली ऐसी बैठकों में जाने की अनुमति है, जिसके लिए पहले से कोई अजेंडा या उचित काम निर्धारित नहीं है।
AAP का क्या जवाब
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि शिकायत को लेकर उनसे मुलाकात की गई जिसे वह धमकी बता रहे हैं। संजय सिंह ने कहा, ‘वह कोई लाट साहब नहीं हैं। उनकी जवाबदेही है हमारे प्रति। क्या चुनाव डीएम या एसडीएम को लड़ना है। उनका काम है चुनाव की व्यवस्था और निष्पक्षता देखना। वह इतने बड़े लाट साहब है कि मैं उनसे मिल नहीं सकता? यदि हमें कोई शिकायत है तो डीएम से नहीं करेंगे? प्रोटोकॉल की बात करें तो उनका प्रॉटोकॉल हमसे बहुत नीचा है। हम तो उनके दफ्तर तक गए, उन्हें सम्मानित महसूस करना चाहिए। अपने वोटर लिस्ट के बारे में पूछना और जो फर्जी ऑब्जेक्टर के बारे में जानकारी लेना क्या डराना-धमाका होता है? ऐसे अफसर जो मिलने को धमकी बताते हैं, ये क्या चुनाव कराएंगे?’