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June 17, 2025 7:36 am

महंगाई पर लगाम की कोशिश: कच्चे तेल पर आयात शुल्क घटा, उपभोक्ताओं को राहत

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– सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम ऑयल पर अब 10 प्रतिशत बेसिक कस्टम ड्यूटी

– मंत्रालय ने उद्योग को उपभोक्ताओं तक फायदा पहुंचाने की दी सलाह

नई दिल्ली। हाल ही में केंद्र सरकार ने महंगाई से जूझ रहे आम लोगों को बड़ी राहत प्रदान की है। सूरजमुखी, सोयाबीन और ताड़ जैसे कच्चे खाद्य तेलों के आयात पर अब सिर्फ 10 फीसदी मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) देना होगा। पहले यह शुल्क 20 फीसदी था। सरकार के इस फैसले से न सिर्फ खाद्य तेल की खुदरा कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है, बल्कि देश के रिफाइनिंग उद्योग को भी नई ऊर्जा मिलेगी। मंत्रालय ने साफ कहा है कि इसका मकसद आम जनता को सीधा फायदा पहुंचाना है।

कच्चे और रिफाइंड तेल में अब 19.25% तक का अंतर-

नवीनतम संशोधन के बाद अब कच्चे और रिफाइंड तेलों के आयात शुल्क में 8.75 से 19.25 फीसदी तक का अंतर बना है। यह अंतर घरेलू रिफाइनिंग उद्योग के लिए एक प्रोत्साहन का कार्य करेगा। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है की भारत में रिफाइनिंग क्षमता का बेहतर उपयोग हो और रिफाइंड तेलों के आयत पर निर्भरता घटे। इससे देश के रिफाइनिंग उद्योग को मजबूती मिलेगी, साथ ही किसानों को भी उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा।

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सभी खाद्य तेल कंपनियों को हिदायत दी है कि शुल्क में की गई कटौती का फायदा उपभोक्ताओं तक जरूर पहुंचे। इसके लिए ब्रांड-वार एमआरपी घटाने और पीटीडी (डीलरों को बिक्री मूल्य) समायोजित करने को कहा गया है। मंत्रालय ने खाद्य तेल संघों के साथ बैठक कर यह भी तय किया है कि हर सप्ताह ताज़ा एमआरपी की जानकारी सरकार को दी जाए, ताकि यह देखा जा सके कि वास्तव में ग्राहकों तक राहत पहुंच भी रही है या नहीं।

*तेल की कीमतें बनी थीं महंगाई का कारण*

अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में वृद्धि और सितंबर 2024 में हुए शुल्क वृद्धि के असर से देश में खाद्य तेल की कीमतें बढ़ गयी थी, जिससे उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ा। अब शुल्क में कटौती से सरकार को उम्मीद है कि आमजन को राहत मिलेगी और महंगाई पर भी लगाम लगेगी। विशेषज्ञों की मानें तो कच्चे तेल पर कम शुल्क लगने से अब रिफाइंड पामोलिन जैसे तेलों का आयात कम होगा। इससे देश में ही रिफाइनिंग उद्योग को मजबूती मिलेगी।

सरकार ने साफ कहा है कि इस राहत का असर तभी दिखेगा जब आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हर पक्ष जिम्मेदारी से काम करे। रिफाइनिंग कंपनियां, थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेता सभी को चाहिए कि कीमतों में जल्द और पारदर्शी कटौती करें, ताकि ग्राहक को वक्त पर राहत मिल सके।

सिद्धार्थ जैन

पत्रकार, जयपुर

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