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October 16, 2025 12:23 pm

डॉ सरिता चौहान: तुम्ही इतकं भक्तिभावानं उच्चार केलं — “हे! देवा धि देव महादेव”

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‘देवाधिदेव महादेव”
हे! देवा धि देव महादेव।
आशुतोष हो ,कृपालु हो ,
तुम दयालु हो, कृपालु हो ,
मृत्युंजय हो ,त्र्यंबक हो,
महेश हो ,विश्वेश हो ,
देवाधिदेव महादेव हो ।
गले सांपों की माला है ,
कंबल में मृगछाल है ,
बाघाम्बर धारी हो ,
त्रिशूल धारी हो ,
देवाधिदेव महादेव हो ।
बसहा बैल की करते सवारी हो
डमरू वाले हो ,
कैलाशी हो ,अविनाशी हो,
शशांक हो, शेखर हो,
देवाधिदेव महादेव हो ।
विश्वनाथ हो, भोलेनाथ हो ,
नागेश्वर हो ,शिव शंकर हो ,
महेश हो ,गिरीश हो ,

ईश्वर हो ,जगदीशश्वर हो ,
देवाधिदेव महादेव हो ।
शूलपाणी हो ,माहेश्वर हो ,
विश्वंभर हो, योगेश्वर हो,
त्रिलोकी नाथ हो ,त्रिलोचनाय हो,

सर्वेश्वर हो ,दानेश्वर हो ,
देवाधिदेव महादेव हो ।
शीश पर गंगा हैं गले भुजंग है ,
सुर नर मुनिजन उच्चारते हैं ,
संचालक हो पालक हो ,
सत्य हो शिव हो और सुंदर हो ,
देवाधिदेव महादेव हो।।

स्वरचित
डॉ सरिता चौहान
पीएम एडी राजकीय
कन्या इंटर कॉलेज गोरखपुर
उत्तर प्रदेश

Seema Reporter
Author: Seema Reporter

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