“गड्ढों में समाया विकास: बारिश, बेबस शहरवासी और बेजान सरकारें”
जयपुर। बारिश अब केवल प्रेम, कविता या धरती की प्यास बुझाने का मौसम नहीं रही, बल्कि यह शहरी प्रशासन की पोल खोलने वाला आइना बन गई है। हर बरसात के साथ बहता है शहर का ढांचा, उजागर होती है नगर निगम की असंवेदनशीलता और ध्वस्त होती है सरकार की तथाकथित विकासपरक नीति। जयपुर की सड़कों … Continue reading “गड्ढों में समाया विकास: बारिश, बेबस शहरवासी और बेजान सरकारें”
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