Jaipur News: राजस्थान में लगभग 30 हज़ार होमगार्ड स्वयंसेवकों की छोटी-बड़ी कई मांगें हैं, जिन पर अब भजनलाल सरकार ने विचार करना शुरू किया है. सरकार नई भर्ती, बर्खास्तगी और वर्दी धुलाई भत्ता जैसे कुछ मुद्दों पर सकारात्मक रुख दिखा रही है, लेकिन नियमित रोज़गार और ग्रेच्युटी जैसी बड़ी मांगों पर अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. होमगार्ड स्वयंसेवकों की इस स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि “थोड़ा दे रही सरकार, ज्यादा की है ज़रूरत.”
सरकार की सहमति और नई भर्ती
होमगार्ड मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने होमगार्ड महानिदेशक मालिनी अग्रवाल के साथ लंबी चर्चा के बाद कहा कि सरकार लंबे समय से अटके छोटे-छोटे मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर रही है. उन्होंने स्वयंसेवकों से ईमानदारी और निष्ठा से काम करने की अपेक्षा भी की. मंत्री खराड़ी ने नई भर्ती की घोषणा करते हुए कहा कि 2022-23 की अटकी भर्तियों को मिलाकर नए सिरे से भर्तियां की जाएंगी. पहले आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों को शामिल करते हुए नए आवेदन भी लिए जाएंगे. साथ ही, भर्तियों में दस किलोमीटर के दायरे का बैरियर हटाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि संपूर्ण जिले या सीमावर्ती जिले के क्षेत्रों को भी अवसर मिल सके.
इसके अलावा, सरकार ने वर्दी धुलाई भत्ता बढ़ाने और लंबे समय से बर्खास्त चल रहे जवानों के मामलों की सुनवाई के लिए कमांडेंट व अन्य अधिकारियों की एक कमेटी बनाने पर सहमति जताई है.
‘ऊंट के मुंह में जीरा’ है समाधान
होमगार्ड संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष झलकन सिंह राठौड़ ने सरकार की इस कवायद को “ऊंट के मुंह में जीरा” के समान बताया है. राठौड़ का कहना है कि भर्तियों से ज्यादा बड़ी समस्या नियमित रोज़गार की है. भर्ती करके भी जब स्वयंसेवकों को नियमित काम नहीं मिलेगा, तो वे बेरोजगार ही रहेंगे.
राठौड़ ने आरोप लगाया कि सरकार छोटे-छोटे मुद्दों को हल कर जवानों को बहलाना चाहती है, जबकि उनकी प्रमुख मांगें नियमित रोज़गार, ग्रेच्युटी, और दूसरे राज्यों की तरह पुलिस कांस्टेबल के समान वेतन हैं, जिन पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है. हालांकि, होमगार्ड महानिदेशक मालिनी अग्रवाल ने कहा कि विभाग होमगार्ड से संबंधित मामलों और कल्याण योजनाओं की समीक्षा कर रहा है.





