Explore

Search

November 14, 2025 4:17 am

‘हक’ फिल्म पर संकट: शाहबानो की बेटी की याचिका पर MP हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, 7 नवंबर की रिलीज पर सस्पेंस!

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसमें यामी गौतम और इमरान हाशमी स्टारर बॉलीवुड फिल्म ‘हक’ की रिलीज को रुकवाने की गुहार लगाई गई है। शाहबानो प्रकरण पर बनी यह फिल्म 7 नवंबर (शुक्रवार) को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली है। उच्च न्यायालय के जस्टिस प्रणय वर्मा ने इस केस से जुड़े सभी पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद मंगलवार को इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

शाहबानो की बेटी ने की फिल्म की रिलीज पर रोक की मांग

यह याचिका उसी शाहबानो बेगम की बेटी सिद्दिका बेगम खान ने दायर की है, जिनके जीवन से यह फिल्म प्रेरित है, और जिन्होंने अपने पति से तीन तलाक दिए जाने के बाद उससे गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। फिल्म ‘हक’ में यामी गौतम धर और इमरान हाशमी मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म साल 1985 के उसी शाहबानो प्रकरण पर आधारित है जिसमें एक मुस्लिम महिला की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करने के बाद उच्चतम न्यायालय ने तलाक के बाद मुस्लिम महिलाओं के लिए भरण-पोषण के संबंध में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

बेटी बोली- परिवार की सहमति के बिना बनाई फिल्म

शाहबानो की बेटी ने फिल्म के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में दावा किया गया है कि यह फिल्म उनके परिवार की सहमति के बिना बनाई गई है और इसमें उनकी दिवंगत मां के निजी जीवन से जुड़े प्रसंगों का गलत तरह से चित्रण किया गया है। याचिका के प्रतिवादियों की सूची में केंद्र सरकार, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) और फिल्म ‘हक’ के निर्देशक सुपर्ण एस.वर्मा के साथ इस फिल्म से जुड़ी तीन निजी कंपनियां शामिल हैं।

मेकर्स पर लगाया शाहबानी की गलत छवि दिखाने का आरोप

अदालत में हुई लम्बी बहस के दौरान सिद्दिका बेगम खान के वकील तौसीफ वारसी ने फिल्म ‘हक’ के टीजर और ट्रेलर का हवाला देते हुए कहा कि फिल्म में शाहबानो बेगम की गलत छवि पेश की गई है, वहीं फिल्म से जुड़ी कंपनियों के वकीलों ने इस दलील को खारिज करते हुए एकल पीठ से याचिका निरस्त करने की गुहार लगाई।

राजीव गांधी सरकार ने बदल दिया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला

शाहबानो बेगम इंदौर की रहने वाली थीं। उन्होंने 1978 में अपने वकील पति मोहम्मद अहमद खान द्वारा तलाक दिए जाने के बाद उनसे गुजारा-भत्ता पाने के लिए स्थानीय अदालत में मुकदमा दायर किया था। शाहबानो की लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 1985 में महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे गुजारा-भत्ता देने का आदेश दिया था। हालांकि मुस्लिम संगठनों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बाद राजीव गांधी सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम कानून बनाते हुए शाहबानो प्रकरण में शीर्ष न्यायालय के फैसले को अप्रभावी बना दिया था। सन् 1992 में शाहबानो की मौत हो गई थी।

DIYA Reporter
Author: DIYA Reporter

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर