जम्मू कश्मीर में तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकवादी हमला करने वाले गुनहगारों की तलाश तेज हो गई है. सेना और CRPF की 11 टीमें ऊपरी पहाड़ी इलाके में सर्चिंग ऑपरेशन चला रही हैं. पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को खत्म करने के लिए मिशन मोड में कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है. हमले के बाद आतंकी जंगल की तरफ भागे थे. ऐसे में रियासी के जंगल को घेर लिया गया है. वहां कमांडो और ड्रोन भी उतारे गए हैं.
रविवार को जम्मू कश्मीर में तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकवादी हमला हुआ था, इसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी. करीब 41 लोग हमले में घायल हो गए थे. ये हमला जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में हुआ. तीर्थयात्रियों की बस शिव खोड़ी मंदिर से माता वैष्णो देवी मंदिर के बेस कैंप कटरा की ओर लौट रही थी. जंगल में छिपे आतंकवादियों ने बस पर घात लगाकर हमला किया. आतंकियों ने पहले बस के ड्राइवर को गोली मारी, जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया और बस खाई में जा गिरी. उसके बाद काफी देर तक फायरिंग की. हमले में बस के ड्राइवर और कंडक्टर दोनों की मौत हो गई. हमले में किसी तरह बच गए यात्रियों ने बताया कि बस के खाई में गिरने के बाद भी आतंकवादी गोली बरसाते रहे. ये बस उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली से तीर्थयात्रियों को लेकर जा रही थी.
लगातार बस पर गोली बरसाते रहे आतंकी
इस गोलीबारी के बाद भी यात्री चुपचाप लेटे रहे, ताकि आतंकवादियों को ऐसा लगे कि वो सभी मर चुके हैं. मरने वाले यात्रियों में से 4 राजस्थान से थे, जिनमें एक 3 साल का बच्चा भी शामिल था. ये चारों लोग एक ही परिवार के थे. इसके अलावा, मरने वालों में 3 लोग उत्तर प्रदेश के थे. ड्राइवर और कंडक्टर रियासी के ही रहने वाले थे. हमले में जान गंवाने वालों में एक 3 साल का बच्चा भी शामिल था. उसकी मां की मौत भी हो गई है. पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से रात सवा 8 बजे तक सभी यात्रियों को बाहर निकाला और अस्पताल में पहुंचाया.
हमले की जांच NIA को सौंपी गई
घटनास्थल पर पुलिस, भारतीय सेना और CRPF का अस्थाई जॉइंट ऑपरेशन हेड क्वार्टर बनाया गया. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन The Resistance Front ने ली है. TRF को साल 2023 में भारत सरकार ने आतंकवादी संगठन घोषित किया था. इसका गठन अनुच्छेद 370 हटने के बाद साल 2019 में हुआ था. ये कई आतंकवादी हमले में शामिल रहा है. सूत्रों के मुताबिक इस हमले में 2 से 3 आतंकवादी शामिल थे. ये आतंकवादी पाकिस्तानी हैं, और उसी ग्रुप का हिस्सा हैं जो पिछले दिनों राजौरी और पुंछ में हुए हमलों में शामिल था. ये ग्रुप पिछले दो वर्षों से पीर-पंजाल इलाके में सक्रिय है. इन आतंकवादियों की तलाश के लिए लगातार सर्च ऑपरेशन जारी है. आतंकवादियों की तलाश के लिए ड्रोन की मदद भी ली जा रही है. इस हमले की जांच NIA को सौंप दी गई है.
जंगलों में छिपे हुए हैं आतंकवादी
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, हमला करने वाले आतंकवादी जंगल में छिपे हुए हैं. सुरक्षा बलों को संदेह है कि आतंकवादी राजौरी और रियासी के पहाड़ी इलाकों में छिपे हुए हैं. क्षेत्र में तलाशी अभियान तेज कर दिया है. अधिकारियों का कहना था कि हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा के तीनों आतंकवादियों की बड़े पैमाने पर तलाश की जा रही है. उन्होंने घटनास्थल पर चौथे आतंकी के मौजूद होने की संभावना से इनकार नहीं किया है.
सेना को मिले सुराग, तलाशी में आई तेजी
उधमपुर-रियासी रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक रईस मोहम्मद भट ने कहा, हमें कुछ सुराग मिले हैं. पुलिस, सेना और सीआरपीएफ की 11 टीमें तलाशी अभियान में लगी हैं. आतंकवादियों को ढेर करने के लिए अलग-अलग मोर्चों पर संयुक्त रूप से काम किया जा रहा है. कॉम्बिंग ऑपरेशन में पुलिस, सेना, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को शामिल किया गया है. कई लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.
ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे डीआइजी ने कहा, हमारी कार्रवाई लगातार जारी है. हम अलग-अलग इनपुट के आधार पर काम कर रहे हैं. दो अलग-अलग मोर्चों पर काम करने के लिए कई टीमें बनाई गई हैं. जबकि जांच भी साथ में तेजी से चल रही है. पूछताछ के लिए कई लोगों को हिरासत में लिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, इस मामले पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन हमें कुछ सुराग मिले हैं और हम आतंकवादियों का पता लगाने के लिए सुराग जुटा रहे हैं.
घने जंगल बने ऑपरेशन में परेशानी
उन्होंने कहा, चूंकि इस क्षेत्र में घने जंगल हैं. जल स्रोतों की कमी है. जंगल में आग का भी खतरा है. खड़ी ढलानों और प्राकृतिक छिपने की जगह हैं. सर्चिंग ऑपरेशन में सुरक्षा बलों के लिए यह बड़ी चुनौती है. सर्चिंग टीमें सावधानी से आगे बढ़ रही हैं. सेना और सीआरपीएफ के साथ कोऑर्डिनेशन में 11 टीमें तैनात की गई हैं. आतंकवादियों को मार गिराने के लिए संयुक्त प्रयास जारी है.
एलजी ने घायलों से मुलाकात की
वहीं, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हमले की निंदा की और इसे क्षेत्र में शांति बाधित करने की दुर्भावनापूर्ण योजना का हिस्सा बताया. उन्होंने जम्मू और रियासी अस्पतालों में घायलों से मुलाकात की और सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. सिन्हा ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह को स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है. हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने आगे कहा, मैं लोगों को आश्वासन देता हूं कि रियासी में तीर्थयात्रियों पर हमले के पीछे और उनकी सहायता करने वालों को दंडित किया जाएगा.
जम्मू में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन
प्रशासन ने मृतकों के परिवारों के लिए 10 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने को मंजूरी दी है. कटरा, डोडा शहर और कठुआ जिले समेत जम्मू क्षेत्र में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन हुए और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ाने की मांग की गई. प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाते हुए पड़ोसी देश के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.