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November 15, 2024 9:24 pm

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CMHO बोले- बाहर से आने वाले पैसेंजर और मरीजों की कड़ी निगरानी की जाएगी…….’मंकीपॉक्स बीमारी को लेकर जिला अलर्ट मोड पर…..

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बुरहानपुर जिले में मंकीपॉक्स बीमारी को लेकर जिला अलर्ट मोड पर आ गया है, हालांकि अभी जिले में कोई मरीज नहीं मिला है, लेकिन हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स बीमारी को लेकर चिंता जाहिर की है। इसके बाद जिला प्रशासन, स्वास्थ्य

गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने विश्व स्तर पर इसे चिंताजनक घोषित किया है। मध्य प्रदेश में मंकी पॉक्स को लेकर लोक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एडवाइजरी जारी करते हुए मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है।

मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश सिसोदिया ने मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारियों, नोडल अधिकारी शहरी क्षेत्र बुरहानपुर को आवश्यक अलर्ट पर रखा है।

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गाइड लाइन के अनुसार करेंगे प्रबंधन

सीएमएचओ डॉ. राजेश सिसौदिया ने कहा कि मंकीपॉक्स से बचाव के लिए शासन स्तर से जारी गाइडलाइन का पालन करने के साथ ही आवश्यक प्रबंधन करना सुनिश्चित करें। बाहर से आने वाले पैसेंजर और अस्पताल में आने वाले मरीजों की कड़ी निगरानी की जाएगी। गाइडलाइन के अनुसार सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिह्नित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। उपचार करने वाले चिकित्सक जब आइसोलेशन समाप्त करने का निर्देश देंगे तब ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा।

सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस टेस्ट के लिए सैंपल एनआईवी पुणे प्रयोगशाला भेजे जाएंगे, साथ ही मंकीपॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटेक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

पशुओं से मनुष्य और मनुष्य से मनुष्य में फैल सकता है संक्रमण

जिला महामारी विशेषज्ञ रविंद्र सिंह राजपूत ने बताया यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। वायरस कटी फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ व घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित बिस्तर के माध्यम से हो सकता है।

उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर चकत्ते दिखाई देने पर यह पता चलता है कि यह रोग एक से दो दिन पहले फैला है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रहता है।

सतर्कता बरती जा रही है

सीएमएचओ डॉ राजेश सिसौदिया ने कहा कि मंकीपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ ने चिंता जाहिर की है, इसलिए स्थानीय स्तर पर हम पूरी तरह अलर्ट हैं। विभागीय अफसरों को गाइड लाइन के अनुसार काम करने को कहा गया है।

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